छत्तीसगढ़ के बलरामपुर जिले में कृषि की अपार संभावनाओं तथा कृषि में नवाचारों को विस्तार देने के उद्देश्य से रागी की खेती की शुरुआत की गई। कलेक्टर तथा जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी ने महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण तथा आजीविका बढ़ाने के लिए उन्हें रागी की खेती से जोडऩे की पहल की। उनकी पहल और महिलाओं की मेहनत अब रंग लाती नजर आ रही है। महिलाओं के अथक परिश्रम और प्रशासन के सहयोग से रागी की फसल अच्छी हुई, जिससे महिलाओं को 4 लाख 50 हजार रूपये की आय प्राप्त हुई है।

कलेक्टर ने महिलाओं की सफलता के प्रति प्रसन्नता जाहिर करते हुए कहा है कि चुनौतियां उनके हौसले कम नहीं कर सकती। कृषि कार्यों में महिलाओं की सफलता उनके लिए नये रास्ते खोल रही है। सुदूर क्षेत्रों की इन महिलाओं ने पड़ती भूमि को उपजाऊ में तब्दील कर एक उदाहरण प्रस्तुत किया है कि उनमे क्षमताओं की कमी नही है। विकासखण्ड रामचन्द्रपुर के विजयनगर में राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन की 19 स्व सहायता समूह की महिलाओं को 188 एकड़ पड़ती भूमि खेती के लिए प्रदाय किया गया था। जिसमें से 40 हेक्टेयर भूमि में लगे रागी का बीज उत्पादन कार्यक्रम में पंजीयन कराया गया।

कृषि विभाग एवं कृषि विज्ञान केन्द्र के अधिकारियों द्वारा महिलाओं को आवश्यक प्रशिक्षण दिया गया। प्रशिक्षण उपरांत महिलाओं ने रागी की खेती प्रारम्भ की और अपने परिश्रम से खेतों को हरा-भरा कर दिया। कृषि विभाग द्वारा महिलाओं को बीज तथा अन्य आवश्यक सामग्री नि:शुल्क उपलब्ध करवाया गया था। समूह की महिलाओं का कहना है कि प्रशासन के सहयोग ने हमारा मनोबल बढ़ाया है जिससे हमें यह सफलता प्राप्त हुई है। रागी की अच्छी पैदावार हमें प्रोत्साहित कर रही है कि कृषि कार्यों में भी हम सफल हो सकती है। दिसंबर के अंत तक हमारी फसल कट चुकी थी और बीज निगम को परीक्षण के लिए 177 क्विंटल बीज भेजा गया था। बीज निगम द्वारा उक्त बीज की ग्रेडिंग कर सैम्पल टेस्ट हेतु बीज प्रमाणीकरण संस्था को भेजा गया। वर्तमान में 112 क्विंटल रागी का परीक्षण उपरांत भुगतान किया गया है तथा शेष 65 क्विंटल रागी का भुगतान शेष है। महिलाओं के आत्मविश्वास और सफलता ने यह साबित किया है कि वे किसी से कम नहीं है, बस उन्हें अवसर प्रदान करने की जरूरत है।