कृषि के विकास और किसानों के कल्याण के लिये मध्यप्रदेश सरकार की उदार कृषि नीतियों के परिणाम स्वरूप रायसेन जिले में धान की खेती की ओर किसानों का रूझान तेजी से बढ़ा है। सरकार द्वारा शून्य प्रतिशत ब्याज पर किसानों को ऋण मुहैया कराने के साथ ही उन्नत बीज और खाद की नियंत्रित मूल्य पर उपलब्धता को सुलभ बनाया गया जिससे धान की खेती की लागत में कमी आई और मुनाफा बढ़ा। कृषि लागत को कम करने में प्रदेश सरकार द्वारा सिंचाई के लिये बिजली की मांग के अनुरूप आपूर्ति और प्रति हार्स पावर के मान से बिजली बिल फिक्स करना भी महत्वपूर्ण कारण है। रायसेन जिले के किसानों द्वारा पैदा की जाने वाले सुगंधित धान (पूसा बासमती) ने जिले को एक अलग पहचान दी है। रायसेन से वर्ष 2013-14 में पूसा बासमती सउदी अरब को निर्यात की जाने लगी। इससे किसानों को अच्छा मुनाफा हुआ और किसानों के लिये धान की खेती लाभ का धन्धा बनी।
रायसेन जिले में धान की खेती की शुरूआत बरेली तहसील के किसानों ने वर्ष 1997 में शुरू की और साल 2007-08 तक परंपरागत ढंग से की जाती रही। इस अवधि में धान की क्रांति, आईआर-36 और आईआर-64 धान लगाया जाता था जिसका उत्पादन औसत 668 किग्रा. प्रति हेक्टेयर था। वर्ष 2008 से किसानों द्वारा धान की सुगंधित धान की उन्नत किस्म पूसा बासमती-1460, पूसा बासमती-1121, पूसा बासमती-1637, पूसा बासमती-1509 का उपयोग और कृषि वैज्ञानिकों द्वारा समय-समय पर दी जाने वाली सलाह के परिणाम स्वरूप साल दर साल धान का रकबा और प्रति हेक्टेयर उत्पादन ब?ने लगा। वर्ष 2009 में उत्पादन 1111 प्रति किग्रा. प्रति हेक्टेयर से ब?ता हुआ आज 3358 प्रति हेक्टेयर हो गया। वर्ष 2018 में जिले में एक लाख 74 हजार हेक्टेयर खेती की गयी। इस साल धान के लिये लगभग दो लाख हेक्टेयर का लक्ष्य निर्धारित किया गया। सउदी अरब और अमेरिका को चावल निर्यात करने के लिए निर्धारित मानकों के अनुरूप रायसेन की एक निजी कम्पनी द्वारा किसानों से अनुबंध कर धान का उत्पादन किया जा रहा है।
साल दर साल धान का रकबा और उत्पादन
कृषि वैज्ञानिक डॉ. स्वप्निल दुबे से प्राप्त जानकारी के अनुसार रायसेन जिले में वर्ष 1997 में धान का रकबा 3.8 हजार हेक्टेयर तथा उत्पादन 939 किग्रा. प्रति हेक्टेयर था। इसी प्रकार वर्ष 1998 में धान का रकबा 3.8 हजार हेक्टेयर तथा उत्पादन 877 किग्रा. प्रति हेक्टेयर, वर्ष 1999 में धान का रकबा 4.1 हजार हेक्टेयर तथा उत्पादन 1000 किग्रा. प्रति हेक्टेयर, वर्ष 2000 में धान का रकबा 5.2 हजार हेक्टेयर तथा उत्पादन 580 किग्रा. प्रति हेक्टेयर, वर्ष 2001 में धान का रकबा 5.5 हजार हेक्टेयर तथा उत्पादन 610 किग्रा. प्रति हेक्टेयर, वर्ष 2002 में धान का रकबा 5.3 हजार हेक्टेयर तथा उत्पादन 568 किग्रा. प्रति हेक्टेयर एवं वर्ष 2003 में धान का रकबा 5.3 हजार हेक्टेयर तथा उत्पादन 663 किग्रा. प्रति हेक्टेयर था।
इसी प्रकार वर्ष 2004 में धान का रकबा 5.9 हजार हेक्टेयर तथा उत्पादन 646 किग्रा. प्रति हेक्टेयर, वर्ष 2005 में धान का रकबा 8.3 हजार हेक्टेयर तथा उत्पादन 648 किग्रा. प्रति हेक्टेयर, वर्ष 2006 में धान का रकबा 12.4 हजार हेक्टेयर तथा उत्पादन 705 किग्रा. प्रति हेक्टेयर, वर्ष 2007 में धान का रकबा 18 हजार हेक्टेयर तथा उत्पादन 705 किग्रा. प्रति हेक्टेयर, वर्ष 2008 में धान का रकबा 22.2 हजार हेक्टेयर तथा उत्पादन 1111 किग्रा. प्रति हेक्टेयर, वर्ष 2009 में धान का रकबा 21.8 हजार हेक्टेयर तथा उत्पादन 1022 किग्रा. प्रति हेक्टेयर, वर्ष 2010 में धान का रकबा 26.11 हजार हेक्टेयर तथा उत्पादन 1334 किग्रा. प्रति हेक्टेयर तथा वर्ष 2011 में धान का रकबा 28.7 हजार हेक्टेयर तथा उत्पादन 1612 किग्रा. प्रति हेक्टेयर था।
जिले में वर्ष 2012 में धान का रकबा 35.3 हजार हेक्टेयर तथा उत्पादन 1352 किग्रा. प्रति हेक्टेयर, वर्ष 2013 में धान का रकबा 62.2 हजार हेक्टेयर तथा उत्पादन 2932 किग्रा. प्रति हेक्टेयर, वर्ष 2014 में धान का रकबा 137.4 हजार हेक्टेयर तथा उत्पादन 4392 किग्रा. प्रति हेक्टेयर, वर्ष 2015 में धान का रकबा 98.6 हजार हेक्टेयर तथा उत्पादन 3435 किग्रा. प्रति हेक्टेयर, वर्ष 2016 में धान का रकबा 150.2 हजार हेक्टेयर तथा उत्पादन 3200 किग्रा. प्रति हेक्टेयर, वर्ष 2017 में धान का रकबा 130 हजार हेक्टेयर तथा उत्पादन 4200 किग्रा. प्रति हेक्टेयर, वर्ष 2018 में धान का रकबा 174.45 हजार हेक्टेयर तथा उत्पादन 3660 किग्रा. प्रति हेक्टेयर एवं वर्ष 2019 में धान का रकबा 198 हजार हेक्टेयर एवं उत्पादन 3358 किग्रा. प्रति हेक्टेयर था।