जिमीकंद की खेती
जिमीकंद की खेती

जिमीकंद की खेती किसानों के लिए काफी फायदेमंद होती है। कम लागत में इसके ज्यादा फायदे मिलते हैं। जिमीकंद का उपयोग यूं तो सब्जी और आचार के लिए होता है, लेकिन आपको जानकार ये आश्चर्य होगा कि इसमें काफी मात्रा में औषधीय गुण भी होते हैं। इसलिए इसकी खेती की ओर किसान लगातार आकर्षित हो रहे हैं। मात्र एक बीघे में ही यदि इसकी खेती की जाय तो एक लाख रुपये तक एक सीजन से कमाया जा सकता है। जिमीकंद की खेती में बहुत समय भी नहीं लगता। फरवरी-मार्च में इसे खेत में बोया जाता है तथा सिंतबर- अक्टूबर में इसकी खुदाई कर ली जाती है।

मिट्टी
जिमीकंद की खेती के लिए बलुई दोमट मिट्टी जिसमें जीवांश पदार्थ की प्रचुर मात्रा होए उपयुक्त होती है, काफी अच्छा होता है। इसलिए ऐसी मिट्टी में ही इसकी खेती करें तो ज्यादा फायदा मिलेगा।

जुताई
पहली जुताई मिट्टी पलट वाले हल से करने के बाद 3-4 जुताई देशी हल या कल्टीवेटर से करते हैं।

बोआई का समय
जिमीकंद की बोआई का उपयुक्त समय फरवरी-मार्च होता है तथा इसकी खुदाई सिंतबर से अक्टूबर में कर ली जाती है।

बोआई का तरीका
बुवाई करने के लिए अंतिम जुताई के समय गोबर की सड़ी खाद गड्ढ़ों में डालने के बाद कंदों के आकार के अनुसार 75 से 90 सेंमी की दूरी पर कुदाल की सहायता से 20.30 सेंमी गहरी नाली बनाकर कंदों की बुवाई कर दी जाती है तथा नाली को मिट्टी से ढक दिया जाता है। कंदों को बुआई के बाद मिट्टी से पिरामिड के आकार में 15 सेंमी ऊँचा कर देना चाहिए।

निंदाई जरूरी
जिमीकंद का आकार बड़ा होने के लिए उचित देखभाल के साथ समय समय पर निराई गुड़ाई जरूर करें। तीन से चार माह में यह तीन से चार किलो तक के वजन का हो जाता है। किसान चाहें तो इसके बीच के हिस्से में सब्जी भी उगा सकते हैं। इसके खोदने के बाद आलू, चना मटर आदि की खेती भी की जा सकती है।