बस्तर जिले के कृषक अब दोगुने लाभ की फसल सूरजमूखी का कर रहे खेती इससे पूर्व कृषक केवल परम्परागत धान की खेती करते आ रहे थे। तिलहनी फसलों का क्षेत्र पूर्व वर्षों में बहुत कम था। कृषि विभाग से प्राप्त जानकारी अनुसार वर्ष 2015-16 में 8103 हेक्टेयर क्षेत्र में तिलहन की खेती की जा रही थी। वही इस वर्ष 2020-21 में 14280 हेक्टेयर क्षेत्र में तिलहनी फसलों की खेती का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। जिले में वर्ष 2015-16 में सूरजमुखी का क्षेत्र 102 हेक्टेयर था, किन्तु वर्ष 2020-21 में 950 हेक्टेयर क्षेत्राच्छादन का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। सूरजमुखी खरीफ, रबी, जायद तीनों मौसम में उगाई जाने वाली फसल है। इसके बीज में 45-50 फीसदी तक तेल पाया जाता है। इसके तेल में लिनोलिक अम्ल पाया जाता है, जो मानव शरीर में कोलेस्ट्राल की मात्रा नहीं बढऩे देता है। इसलिए दिल के मरीजो के लिए यह एक औषधि के समान है। पिछले कुछ वर्षों में सूरजमुखी अधिक उत्पादन क्षमता व अधिक मूल्य के कारण कृषकों के मध्यम लोकप्रिय हुआ है।

ऐसे ही एक कृषक बस्तर जिले के विकासखण्ड जगदलपुर के ग्राम उलनार के मुन्ना नाग है, जिनका चयन कृषि विभाग की एक्सटेंशन रिफार्स आत्मा योजनान्तर्गत रबी 2019 में सूरजमुखी फसलोत्पादन हेतु किया गया। कृषक को नि:शुल्क बीज, खाद विभाग द्वारा प्रदाय किया गया। कृषक द्वारा पूर्व वर्षों से भी सूरजमुखी की खेती की जा रही थी, किन्तु उचित बोनी, खाद प्रबंधन, कीट व्याधि नियंत्रण न होने के कारण कृषक को अधिक लाभ प्राप्त नहीं हो पा रहा था। वर्ष 2019 में कृषक का सम्पर्क कृषि विभाग के अधिकारियों से हुआ एवं उनके द्वारा उचित मार्गदर्शन व समय-समय पर तकनीकी जानकारी दिया गया। कृषक मुन्ना को बीजोपचार, कतार बोनी एवं सही समय पर खरपतवार व कीट व्याधि नियंत्रण संबंधी प्रशिक्षण विभाग द्वारा दिया गया । कृषक मुन्ना को विभाग द्वारा सौर सुजला योजनान्तर्गत सोलर पम्प प्रदाय किया गया। जिससे कृषक द्वारा द्विफसलीय उत्पादन प्रारंभ किया गया एवं कृषक की आय में वृद्धि होनी लगी। कृषक द्वारा वर्ष 2018-19 में 1.20 हेक्टेयर रकबे में स्वयं द्वारा 4.20 क्विंटल धान उत्पादन प्राप्त कर 17 हजार 850 रूपए शुद्ध आय प्राप्त किया गया। वर्ष 2019-20 में विभागीय अमलों से तकनीकी परामर्श व समय-समय पर खेत का निरीक्षण कर खेत की अच्छी तैयारी करवाकर, विभाग द्वारा उन्नत संकर बीज के प्रयोग एवं सही मात्रा में उर्वरकों का प्रयोग कर अधिक उत्पादन किया एवं वर्ष 2019-20 में 1.20 हेक्टेयर क्षेत्र में 7.80 क्विंटल उत्पादन प्राप्त करते हुए 58 हजार 400 रूपए शुद्ध आय प्राप्त किया। इस प्रकार कृषक के आय में उचित तकनीकी प्रबंधन से फसलोत्पादन कर 8.11 प्रतिशत आय में वृद्धि हुई कृषक द्वारा इस वर्ष में सूरजमुखी की फसल लेने वाले है। कृषकों द्वारा निकट भविष्य में सूरजमुखी के क्षेत्र में और अधिक वृद्धि की संभावना है।