प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (Prime Minister Krishi Sinchayee Yojana (PMKSY))
Har Khet ko Pani “Prime Minister Krishi Sinchayee Yojana”
योजना का नाम:- प्रधान मंत्री कृषि सिंचाई योजना
योजना की शुरुवात:- 1 जुलाई 2015
योजना की टैग लाइन:- मोर क्रॉप पर ड्राप (More crop per drop)
भारत सरकार ने प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना(पीएमकेएसवाई) बनाई हैं, जिसका उद्देश्य “हर खेत को पानी” हैं। जल संसाधनों को अधिकतम उपयोग पर हैं ताकि बाद और सूखे के आवेग से होने वाले नुकसान की रोकथाम की जा सके। ऐसा करने से उपलब्ध संसाधनों का कुशल उपयोग हो सकेगा और साथ ही किसानों को अधिक पैदावार मिलेगी।प्रधानमंत्री का मानना है कि यदि हमारे देश की कृषि सही होगी तभी हमारा देश तरक्की करेगा |और इसके लिए खेतों में सिंचाई बहुत ही जरूरी है|
इसी को ध्यान में रखते हुए प्रधानमंत्री जी ने कृषि सिंचाई योजना का आरंभ किया है |ताकि किसानों को पानी की कमी ना हो |औरअच्छे से अच्छी पैदावार पैदा कर सकें और हमारे देश की उन्नति में भाग ले सकें |क्योंकि कोई भी इंसान बिना अनाज के नहीं रह सकता है |इसीलिए कृषि बहुत ही जरूरी है |कृषि भी अच्छे से होगी यदि सिंचाई की सुविधा उपलब्ध होगी |इसीलिए प्रधानमंत्री जी ने कृषि सिंचाई योजना का आरंभ किया है|
50,000 करोड़ रु. के निवेश से प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना कार्यक्रम में पूरी आपूर्ति श्रंखला अर्थात जल स्त्रोत, वितरण नेटवर्क तथा फार्म स्तर के अनुप्रयोग पर ध्यान केंद्रित करके एकीकृत विकास की कल्पना की गई हैं। वर्ष 2015-16 के दौरान लघु सिंचाई के तहत 8.0 लाख हेक्टेयर क्षेत्र लाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया हैं। दिसंबर 2019 तक 99 मुख्य और माध्यम सिंचाई को मिशन मोड़ में पूरा किये जाने का भी निर्णय लिया गया हैं। इसके अतिरिक्त 76.03 लाख हेक्टेयर क्षेत्र सिंचाई के तहत लाया जा सकेगा।
प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई फायदा-
• ऐसे प्रोजेक्टों को प्राथमिकता दी जा रही हैं, जो पुरे होने के कगार पर हैं ताकि किसानों को तुरंत फायदा मिल सके।
• किसान बेहतर सिंचाई जल योजना अपना सकते हैं।
• किसान ड्रिप/स्प्रिकलर सिंचाई योजनाओ को अपना सकते हैं।
• इन तकनीकों की जानकारी किसान को अपने जिले के कृषि/बागवानी अधिकारी से मिल सकती हैं।
• किसान टोल फ्री किसान कॉल सेंटर 1800-180-1551 से भी जानकारी ले सकते हैं।
• कृषि समन्वय एवं किसान कल्याण विभाग को वर्ष 2016-17 में सूक्ष्म सिंचाई के लिए रु. 2340 करोड़ का आवंटन किया गया हैं,जो वर्ष 2015-16 के रु. 1550 करोड़ का बजट से 51% अधिक हैं।
सिंचाई उपकरणों पर देय अनुदान राशि की जानकारी –
अ. स्प्रिंकलर सेट –
1. लघु/सीमांत कृषक – समस्त वर्ग के लघु/सीमांत कृषको हेतु इकाई लागत का 55 प्रतिशत अनुदान देय हैं |
2. अन्य कृषक – समस्त वर्ग के अन्य कृषको हेतु इकाई लागत का 45 प्रतिशत अनुदान देय हैं |
3. स्टेट टॉपअप – समस्त वर्ग के अन्य कृषको हेतु इकाई लागत का 30 प्रतिशत या अधिकतम रु. 4500/ – अनुदान देय हैं |
ब. ड्रिप सिस्टम –
1. लघु/सीमांत कृषक – समस्त वर्ग के लघु/सीमांत कृषको हेतु इकाई लागत का 55 प्रतिशत अनुदान देय हैं |
2. अन्य कृषक – समस्त वर्ग के अन्य कृषको हेतु इकाई लागत का 45 प्रतिशत अनुदान देय हैं |
3. स्टेट टॉपअप – समस्त वर्ग के अन्य कृषको हेतु इकाई लागत का 30 प्रतिशत या अधिकतम रु. 15000/ – अनुदान देय हैं |
स. रेनगन –
1. लघु/सीमांत कृषक – समस्त वर्ग के लघु/सीमांत कृषको हेतु इकाई लागत का 55 प्रतिशत अनुदान देय हैं |
2. अन्य कृषक – समस्त वर्ग के अन्य कृषको हेतु इकाई लागत का 45 प्रतिशत अनुदान देय हैं |
3. स्टेट टॉपअप – समस्त वर्ग के अन्य कृषको हेतु इकाई लागत का 30 प्रतिशत या अधिकतम रु. 3600/ – अनुदान देय हैं |
द. डीजल /विद्युत पम्प –
1. समस्त वर्ग के लघु सीमांत एवं अन्य कृषको हेतु इकाई लागत का 50 प्रतिशत या अधिकतम रु. 10000/ – अनुदान देय हैं |
प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना धनराशि
योजना के उद्देश्यों की उपलब्धि के लिये मुख्यतः तीन मंत्रालयों नामतः जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा पुनरुद्धार मंत्रालय, ग्रामीण विकास मंत्रालय तथा कृषि मंत्रालय के सहभागिता द्वारा विभिन्न कार्यक्रम चलाए जाएंगे। ग्रामीण विकास मंत्रालय मुख्य रूप से मृदा एवं जल संरक्षण हेतु छोटे तालाब, जल संचयन संरचना के साथ-साथ छोटे बाँधों तथा सम्मोच्च मेढ निर्माण आदि कार्यों का क्रियान्वयन राज्य सरकार के माध्यम से समेकित पनधारा प्रबंधन कार्यक्रम के तहत करेगा। जिसके लिये वर्ष 2015-16 में 1500 करोड़ रुपये आवंटित है।
प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना में होने वाला खर्च –
PMKSY त्वरित सिंचाई लाभ कार्यक्रम, नदियों का विकास, गंगा संरक्षण योजना आदि योजनाओं के साथ मिल कर कार्य करेगी. इसके अंतर्गत पहले पांच सालों में 50 हजार करोड़ की राशी खर्च की जाएगी. देश के सभी राज्यों को इस योजना में जितना खर्चा होगा उसका 75% दिया जायेगा, बाकि का 25% का खर्च राज्य सरकार को खुद उठाना होगा. राज्य सरकार को केन्द्रीय सरकार द्वारा दी गई राशी के अलावा अतिरिक्त खर्च करना जरुरी होगा, जिससे विकास कार्य अच्छे से हो सके. देश के ऊंचाई वाले स्थान उत्तरी पूर्व के राज्यों में केन्द्रीय सरकार इस योजना के तहत 90% खर्चा देगी, उस राज्य को सिर्फ 10% का भार उठाना होगा.
अधिक जानकारी के लिए इस वेबसाइट पर क्लिक करें-
website- http://pmksy.gov.in/default.aspx#