देश के कई क्षेत्रों में जहां वर्षा बहुत कम होती है, ऐसे क्षेत्रों में कृषि को लेकर तरह-तरह के प्रयोग किए जाते हैं। ऐसे क्षेत्रों में होने वाली भूमि को शुष्क भूमि कहा जाता है। जहां मिट्टी में नमी बहुत कम या नहीं के बराबर होती है। लेकिन अब ऐसे भी क्षेत्रों में खेती की […]
वर्षाकाल में भी श्रमिकों को मिलेगा रोजगार
मध्यप्रदेश पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग द्वारा बारिश के मौसम में भी श्रमिकों को स्थानीय स्तर पर रोजगार उपलब्ध करवाने के लिये कार्यों का चिन्हांकन किया गया है, जिससे श्रमिकों को रोजगार मिलता रहे। सभी जिलों के मुख्य कार्यपालन अधिकारियों को निर्देश दिये गये हैं कि बरसात के मौसम में ग्राम पंचायतों के माध्यम से […]
मजदूरी करने वाली इस महिला ने खेती-किसानी से कैसे बदली खुद की तकदीर… जानिए पूरी कहानी
गुलाबी साड़ी में मुस्कुराती फुलवारी बाई कंवर के नाक में दोनो तरफ सोने की बड़ी-बड़ी फुल्लियां और उन पर लगे हरे और लाल रंग के नग…। फुलवारी करतला विकासखण्ड के वनांचल स्थित केरवाद्वारी गांव पहुंचने वाले लोगो को अनायास ही अपनी तरफ आकर्षित करती है। पीपलरानी पहाड़ की तलहटी के नीचे वन भूमि पर पूर्वजो […]
‘अदरक’ के बिना अधूरा है चाय का मजा… तो जानिए कैसे होती है इसकी खेती
मसालों में अदरक का महत्व काफी अधिक है। चाहे सब्जी हो या नमकीन व्यंजन, आचार या भी चटनी अदरक जरूर शामिल होता है। इतना ही नहीं, अदरक के बिना चाय अधूरा माना जाता है। खासकर, ठंड के दिनों में तो बिना अदरक के चाय पीना मुश्किल होता है। तो आइए आज जानते हैं कि इतनी […]
अब कॉफी और हल्दी उत्पादन में नाम कमाएगा ये क्षेत्र
प्राकृतिक संसाधनों से परिपूर्ण बस्तर अंचल पर्यटन के साथ-साथ अब कॉफी और हल्दी उत्पादन के प्रमुख केंद्र के रूप में विकसित हो रहा है। जिले की पर्यावरण अनुकूलता से ही दरभा व डिलमिली इलाके में कॉफी और बास्तानार क्षेत्र में हल्दी उत्पादन को राज्य शासन द्वारा बढ़ावा दिया जा रहा है। इन उत्पादों का नाम […]
रूफ वाटर वाटर हार्वेस्टिंग का बेजोड़ उदाहरण है ये किला…जरूर देखें
रायसेन दुर्ग का आठ सौ साल पुराना रूफ वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम जल संरक्षण, जल प्रबंधन तथा निर्माण कौशल का अनुपम उदाहरण है। आठ सौ साल पहले पानी के सदउपयोग, वर्षा जल के भडारण और संरक्षण के लिये रूफ वाटर हार्वेस्टिंग पद्धती का उपयोग अद्भुत और अनुकरणीय है। इस किले के रूफ वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम से […]
वैज्ञानिक तकनीकसे खेती कर आधी लागत पर पाएं दोगुना उत्पादन.
मध्यप्रदेश शासन द्वारा कृषि आय बढ़ाने हेतु सतत रूप से प्रयास किए जा रहे हैं। कृषि आय बढ़ाने हेतु प्रयास के दो स्तर हैं, एक है प्रति इकाई उत्पादन में लागत कम हो, दूसरा प्रति इकाई भूमि पर उत्पादन में बढ़ोत्तरी की जाय। दोनो ही लक्ष्यों की पूर्ति के लिए कृषकों द्वारा उन्नत तकनीकि, आधुनिक […]
मछली पालन से एक साल में एक लाख का मुनाफा…आखिर कैसे
छत्तीसगढ़ राज्य के दूरस्थ अंचलों में निवास करने वाले आदिवासी किसान मछली पालन करके आत्मनिर्भर बन रहे हैं। जशपुर जिले के ग्राम कनमोरा के किसान मनोज तिर्की ने स्वयं के तालाब में मछली पालन करके एक वर्ष में एक लाख रूपए का लाभ प्राप्त किया है। श्री तिर्की मछली पालन से प्राप्त राशि से अपने […]
वरदान से कम नहीं है करेला… तो आइए जानते हैं इसकी खेती के तरीके
अपने औषधीय गुणों और पौष्टिकता से भरपूर करेला वाकई किसी वरदान से कम नहीं है। कब्ज, मधुमेह के रोगियों के लिए तो ये काफी फायदेमंद ही है, अन्य सभी के लिए करेला स्वास्थ्य के लिए अच्छा माना गया है। करेला के बारे में कहा जाता है कि जो लोग मोटापा से छुटकारा पाना चाहते हैं […]
कोसा उत्पादन के लिए लगाए गए 65 हजार अर्जुन के पेड़… बिखरेगी उम्मीद की रेशमी किरण
अर्जुन के 65 हजार पेड़ वनांचल में उम्मीद की रेशमी किरण बिखेर रहे हैं। मनरेगा के तहत 40 एकड़ रकबे में लगाए गए इन पेड़ों पर रेशम विभाग अब कृमिपालन कर कोसा सिल्क उत्पादन की तैयारी में है। इसके लिए समूह बनाकर स्थानीय ग्रामीणों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। यहां कोसा उत्पादन से 23 […]