राजीव गांधी किसान न्याय योजना में उद्यानिकी फसलों को शामिल करने से किसानों की आमदनी बढ़ गई है। इस योजना के अनुसार खरीफ 2020 में बोये गये धान के बदले कृषक उद्यानिकी फसल की खेती करता है तो उसे 10 हजार रूपए प्रति एकड़ अनुदान राशि का प्रावधान है। यदि कृषक पूर्व में धान की खेती में पंजीकृत नहीं है और वह खरीफ वर्ष 2021 में उद्यानिकी फसल लगा रहा है तो ऐसे में कृषकों को 9 हजार रूपए प्रति एकड़ आदान सहायता राशि दी जाएगी।
इस योजना के तहत विकासखण्ड कोटा के ग्राम कुरूवार निवासी किसान श्रीमती अन्नपूर्णा देवी साहू ने उद्यानिकी विभाग के अधिकारियों की सलाह पर पपीते की खेती शुरू कर दी। श्रीमती साहू परम्परागत रूप से धान की खेती अपने 25 एकड़ भूमि पर करती थी। उद्यानिकी विभाग के अधिकारियों की समझाइश पर उसने अपने 15 एकड़ भूमि पर धान के बदले पपीते की खेती करने का मन बनाया और पपीता फसल की खेती की तैयारी में जुट गयी। श्रीमती साहू ने उद्यानिकी अधिकारियों के मार्गदर्शन में पौध रोपण का कार्य प्रारंभ किया और प्रति एकड़ 1200 पौध रोपण किया। उन्होंने अपने प्रक्षेत्र पर 18 हजार पपीता पौध का रोपण किया हुआ है। उन्होंने पपीते की खेती में ड्रीप सिंचाई का उपयोग किया हुआ है जिससे पौधों को पानी एवं खाद दवाई आसानी से पौधों की जड़ों तक पहुंचाया जा सकता है। फसल की उम्र अब लगभग 6 माह की है ओर पोधों पर फसल परिपक्व होना प्रारंभ हो चुके हंै। वर्तमान में फल को तोड़ा जा सकता है। उनके द्वारा पके हुए फसलों को तोड़कर फल, सब्जी, मण्डियों में विक्रय हेतु भेजा जा रहा है। अभी तक इन्होंने लगभग 125 क्विंटल पपीते को मण्डियों में भेजकर बिक्री किया है। जिससे इन्हें 2 लाख की आमदनी प्राप्त हो चुकी है। इनका अनुमान है कि पूरी फसल से इन्हें 8 से 10 लाख रूपये का शुद्ध लाभ मिल सकता है।