जैविक खेती
जैविक खेती

केंचुए से कचरे को कंचन (सोना) में परिवर्तित कर खाचरौद तहसील के ग्राम नावटिया के किसान श्री सुनील पिता बालाराम ने अपने खेती में जैविक खेती का उपयोग कर कम लागत में अधिक आय प्राप्त कर रहे हैं। जैविक खेती करने से उन्होंने रासायनिक खाद का कम उपयोग किया है। रासायनिक खाद पर निर्भरता कम कर वर्मीवॉश का उपयोग हर 15 दिन में अन्तराल में करने के कारण कीटों का प्रभाव न के बराबर हुआ, जिससे खाद एवं कीटनाश में लगने वाले व्यय में कटौती भी हुई। खेती में वर्मी कम्पोस्ट डालकर प्याज की रोपाई की गई, जिससे पौध स्वस्थ एवं ट्रांसप्लांटिंग के समय पूर्ण जड़ सहित निकाले जा सके। सोयाबीन न बोकर कुछ हिस्से में जैविक खेती की विधि से मक्का की फसल बोई, जिससे उन्हें लगभग 94 हजार से अधिक का लाभ प्राप्त हुआ।

खाचरौद तहसील के ग्राम नावटिया निवासी कृषक श्री सुनील पिता बालाराम कहते हैं कि उनके पास कृषि भूमि तीन हेक्टेयर है। कुछ वर्ष पूर्व इनके गांव को परम्परागत कृषि विकास योजना में शामिल कर लगभग 50 कृषकों को जोड़कर एक क्लस्टर बनाया गया था। क्लस्टर में इनके सहित लगभग 30 कृषकों के यहां वर्मी पिट का निर्माण किया गया और कृषकों को केंचुए भी उपलब्ध कराये गये। क्लस्टर में सभी किसानों को कृषि वैज्ञानिकों के द्वारा प्रशिक्षण दिया गया। कृषि वैज्ञानिकों ने जैविक विधि द्वारा रासायनिक खाद पर निर्भरता को कैसे कम किया जाये एवं कीट नियंत्रण हेतु जैविक विधि द्वारा तैयार कीट नियंत्रण की प्रशिक्षण के माध्यम से जानकारी कृषकों को दी गई।

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