कम पानी में ज्यादा सिंचाई का फार्मूला
कम पानी में ज्यादा सिंचाई का फार्मूला

खेती-किसानी में सिंचाई महत्वपूर्ण होती है। बिना सिंचाई के आप अच्छा उत्पादन प्राप्त नहीं कर सकते हैं, लेकिन कई बार देखा जाता है कि सिंचाई करने के साथ-साथ बहुत ज्यादा पानी यूं ही बर्बाद हो जाता है। पानी की मात्रा जितनी हो उतना ही खेतों को मिले, तो कितनी अच्छी बात होगी, लेकिन प्राय: ऐसा नहीं हो पाता। इसी को देखते हुए कम पानी में ज्यादा से ज्यादा सिंचाई के लिए काफी प्रयोग किए जा रहे हैं। इसके लिए ड्रिप इरिगेशन पर आधारित    सिंचाई को प्राथमिकता दी जाती है। लेकिन सही तकनीक और समय के चलते इसमें भी उतनी सफलता नहीं मिल पाती, जिसकी उम्मीद की जाती है। इसी कड़ी में अब उत्तर प्रदेश कृषि अनुसंधान परिषद लखनऊ ने भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान (ट्रिपलआईटी) को कृषि के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट दिया है। ड्रिप इरिगेशन पर आधारित इस प्रोजेक्ट में खेत को पूरा नहीं भरना है, इसमें जितनी आवश्यकता है, उतना ही पानी पौधे को देना है।

बताया जा रहा है कि ट्रिपलआईटी के इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग विभाग के असिस्टेंट प्रो. डॉ. आशुतोष कुमार सिंह इस परियोजना के मुख्य समन्वयक हैं, जबकि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) वाराणसी के मुख्य वैज्ञानिक डॉ. सुधाकर पांडे इस परियोजना में उप समन्वयक बनाए गए हैं।

इस परिप्रेक्ष्य में बताया जा रहा है कि परियोजना में सिंचाई का ऐसा साधन विकसित करना है, जिसमें बिजली के स्थान पर सोलर ट्री के जरिए मोटर को चलाया जा सके। अभी तक सोलर पैनल पर आधारित पंप चल रहे थे, परंतु वह बहुत जगह लेते हैं, इसलिए लघु किसान एवं सीमांत किसानों के बीच में सोलर पंप बहुत सफल नहीं हो पाया। संस्थान पिछले कई वर्षों से सोलर ट्री पर काम कर रहा है। ट्रिपलआईटी के सोलर ट्री पर विशेषज्ञता को देखते हुए प्रदेश सरकार ने यह महत्वपूर्ण जिम्मेदारी उसे सौंपी है

इसमें यह भी बताया जा रहा है कि खेत में चारों कोनों पर लगे सेंसर मोटर को संदेश भेज देंगे और सिंचाई का पंप अपने आप ही बंद हो जाएगा। फसल को जरूरत पडऩे पर सिंचाई का पंप अपने आप ही ऑन हो जाएगा। किसान को कड़ी धूप में परेशान होने की जरूरत नहीं है।

खैर, सिंचाई की ये परियोजना काफी अच्छी है। यदि इसमें सफलता मिलती है तो नि:संदेह किसानों को इसमें काफी मिलेगा और इसके साथ-साथ फसल उत्पादन भी बढऩे लगा। पानी की कम से कम इस्तेमाल से ज्यादा फसल लेने से पानी की उपयोगिता भी बढ़ेगी।