वैसे तो खेती-किसानी में मेेहनत खूब है, लेकिन यदि सही समय और अच्छी मेहनत से खेती की जाए तो फायदा भी खूब होता है। लगातार आ रही नए-नए तकनीकों के साथ ही रासायनिक खादों का प्रयोग से किसान मुनाफा भी खूब कमा रहे हैं। लेकिन कई क्षेत्रो में देखा जा रहा है कि अब जैविक खेती को महत्व दिया जा रहा है। इसके पीछे सबसे बड़ा कारण जैविक खेती से मिट्टी का उपजाऊपन बरकरार रहना है। इसके साथ ही भूमि की उपजाऊ क्षमता में वृद्धि होती है। रासायनिक खाद पर निर्भरता कम होने से कास्त लागत में कमी आती है। फसलों की उत्पादकता में वृध्दि।
वहीं बताया जाता है कि जैविक खेती से भूमि के जल स्तर में वृध्दि होती है। मिट्टी खाद पदार्थ और जमीन में पानी के माध्यम से होने वाले प्रदूषण मे कमी आती है। कचरे का उपयोग, खाद बनाने में, होने से बीमारियों में कमी आती है। जैविक खेती मृदा की उर्वरता एवं कृषकों की उत्पादकता बढ़ाने में पूर्णत: सहायक है। वर्षा आधारित क्षेत्रों में जैविक खेती की विधि और भी अधिक लाभदायक है। जैविक विधि द्वारा खेती करने से उत्पादन की लागत तो कम होती ही है इसके साथ ही कृषक भाइयों को आय अधिक प्राप्त होती है।
कुल मिलाकर देखा जाए तो मिट्टी में लगातार रासायनिक उर्वरकों के प्रयोग से मिट्टी का उपजाऊपन कुछ हद तक प्रभावित हो सकता है। लेकिन जैविक खेती से मिट्टी की उर्वरकता बरकरार रहती है और किसान को फसलों का दाम भी अच्छा मिलता है।