बेर का शर्बत दे रहा भरपूर मुनाफा

टीकमगढ़ जिले में बेर अल्प कीमत में व्यापारियों द्वारा खरीदे जाते थे। लेकिन उसका उपयोग और उससे बनी सामग्री महगें दामों में बाजार में मिलती थी। बेर पर कार्य करने के लिये प्रशिक्षण प्राप्त किया। जहां बेर से कई सामग्री निर्माण होने का ज्ञान मिला। उनके बाद बेर का शर्बत बनाया गया। शर्बत से हजारों रूपये की आमदानी हुई। माडूमर निवासी रानी राना ने बताया कि मध्य प्रदेश दीनदयाल अंत्योदय योजना राज्य ग्रामीण आजीविका मिषन द्वारा दो-तीन समूह बनाये। समूह से 1500 रूपये रिबोल्विंग फंड के रूप में प्राप्त किया। जिसको सर्वप्रथम पषुपालन कार्य में लगाया। दूध डेयरी पर विक्रय किया। जो भी लाभ होता था। उस लाभ आय से अपने परिवार को चलाती थीं। उसके बाद आजीविका मिषन के सहयोग से मुझे बेर का शर्बत बनाने के लिये बताया गया। जिसके लिये हमने समूह से 20 हजार रूपये बैंक लिंकेज से 10 हजार ऋण लिया।

बेर से शर्बत बनाने कृषि विज्ञान केंद्र कुण्डेष्वर में प्रशिक्षण लिया। घर पर बेर शर्बत की मशीन लगाई। इसमें हमारे परिवार का भरपूर सहयोग रहा। बेर के शर्बत की बिक्री के लिये विभाग से संबंधित मीटिंग में रोजगार मेला में और निजी संस्थाओं में जन संपर्क किया। वहां पर बेर के शर्बत से अच्छी आय प्राप्त हुई। अभी कुछ दिन पहले टीकमगढ़ के नावार्ड बैंक द्वारा भोपाल के कार्यक्रम मे 15 हजार रूपये बेर के शर्बत की बिक्री की गई।

रानीराना ने बताया कि बेर के शर्बत के साथ में कृषि का भी कार्य करती हैं। उनको कृषि सखी के नाम से भी जाना जाता है। गांव-गांव में जाकर के समूह सदस्यों के घर पर जैविक आजीविका पोषण वाटिका, भू-नाडेप, वर्मी-नाडेप बनवाया गया। इस कार्य से उनको प्रतिमाह 4 से 5 हजार रूपये की आय हो जाती है।