जलवायु
परवल की खेती साल में दो बार की जाती है। परवल की खेती के लिए गर्म जलवायु सबसे उपयुक्त है। इसे जून में तथा अगस्त में बोई जाती है। वहीं नदियों के किनारे अक्टूबर-नवंबर में परवल की रोपाई की जा सकती है।

मिट्टी
परवल की खेती के लिए रेतीली अथवा दोमट मिट्टी उपयुक्त मानी जाती है। लेकिन ध्यान रखें कि अच्छी जल निकासी की व्यवस्था होना जरूरी है।

खेत की तैयारी
परवल की खेती के लिए देशी हल से तीन बार जुताई कर खेत को तैयार कर लेना चाहिए।

पौधों की दूरी
इसके बाद पौधे से पौधे की दूरी डेढ़ मीटर रखकर 30 बाई 30 बाई 30 सेमी का गहरा गड्ढा खोदकर उसमें पर्याप्त मात्रा में गोबर खाद मिला लें। परवल की मादा व नर दोनों होते हैं इनकी कटिंग का अनुपात 10:1 हैं।

प्रजातियां
वैसे परवल की दो प्रजातियां प्रमुख हैं- इसमें क्षेत्रीय प्रजातियां और उन्नतशील प्रजातियां शामिल हैं। तो आप अपने क्षेत्र और भूमि के आधार पर इसका चयन कर सकते हैं। इसके अलावा कुछ अन्य प्रजातियां भी हैं, जिसकी खेती आप विेशेषज्ञों से राय लेकर कर सकते हैं।

सिंचाई
किसी भी फसल की खेती में सिंचाई व उर्वरक की भूमि के आधार पर निर्धारित होती है। वहीं परवल में गोबर की खाद अंतिम जुताई के साथ मिलाएं। पौधरोपण के बाद नमी की आवयश्यकता अनुसार सिंचाई करनी चाहिए। ठंड के दिनों में पखवाड़े भर बाद बाद तथा गर्मियों में 10-12 दिन बाद नियमित सिंचाई करें।

खरपतवार से बचाव
पौधों को खरपतवार ज्यादा नुकसान पहुंचाते हैं। इसलिए समय-समय पर निंदाई-गुड़ाई करते रहे। ताकि हवा का नियंत्रण बराबर बना रहे।

कीटों से बचाव
परवल की फसल को कई प्रकार के कीटों से नुकसान की आशंका बनी रहती है। खासकर फल की मक्खी और फली भ्रंग से। इसलिए इसका उपचार कर लेना चाहिए। फल की मक्खी फलों में छेदकर उनमें अंडे दे देती है, इसलिए फसल सड़ जाते हैं। वहीं फली भ्रंग पत्तियों में छेद कर हानि पहुँचाता है।