छत्तीसगढ़ शासन की सुराजी गांव योजना, गांव और ग्रामीणों की तस्वीर और तकदीर बदलने का जरिया बनते जा रही है। एक साल में ही सुराजी गांव योजना के सार्थक परिणाम राज्य के सैकड़ों गावं में दिखने लगे हैं। इस योजना के प्रमुख घटक नरवा, गरूवा, घुरवा, बाड़ी ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई गति दी है। लोगों में सहकार की भावना विकसित हुई है। सामूहिक खेती की प्राचीन परंपरा फिर से जीवंत हो उठी है। इस योजना के तहत राज्य के लगभग दो हजार गांवों में बने गौठान आज ग्रामीणों की आजीविका नए केन्द्र बन गए हैं। इस योजना के तहत बाड़ी विकास कार्यक्रम से गांवों में सामूहिक खेती को बढ़ावा मिला है। गौठानों की रिक्त भूमि पर महिला स्व-सहायता समूह सामूहिक रूप से सब्जी-भाजी की खेती करने लगे हैं।
राज्य के कोरिया जिले के दुधनिया और लाई गांव में सुराजी योजना के बाड़ी विकास कार्यक्रम के जरिए वहां के किसानों ने अपनी 26 एकड़ अनुपजाऊ एवं पड़त भूमि पर सामूहिक रूप से फलोद्यान विकसित कर एक अनुकरणीय मिसाल पेश की है। कोरिया जिले के बैकुण्ठपुर विकासखण्ड के ग्राम दुधनिया के 5 कृषकों ने अपने घर के समीप साढे तेरह एकड़ की पड़त भूमि पर सामूहिक रूप से विभिन्न प्रजातियों के फलदार पौधों का बागीचा लगाया है। इसी तरह का उदाहरण मनेन्द्रगढ़ विकासखण्ड के ग्राम लाई के 5 कृषकों ने अपनी 12 एकड़ पड़त भूमि पर सामूहिक रूप से फलोद्यान विकसित कर प्रस्तुत किया है।
कृषि विज्ञान केन्द्र कोरिया के विशेषज्ञों की देख रेख में उक्त दोनों गांव में मनरेगा और खनिज न्यास निधि से विकसित फलोद्यान और वहां की इंतजाम को देखने के लिए आसपास के कृषक दुधनिया और लाई आने लगे हैं। दुधनिया और लाई में विकसित फलोद्यान में बागबानी संस्थान लखनऊ और इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर से विभिन्न प्रजातियों के अच्छी क्वालिटी के 4160 फलदार पौधें को 5-5 मीटर की दूरी पर लगाया गया है, जिसमें अनार, अमरूद, आम, सीताफल, निम्बू प्रमुख है। बागीचे की सुरक्षा के लिए चारों ओर फैसिंग और सिंचाई के लिए ड्रिप एरीगेशन सिस्टम लगाया गया है। इन दोनों बागीचों में उन्नत प्रजाति की लेमन ग्रास का रोपण भी किया गया है ताकि किसानों को अतिरिक्त आमदनी हो सके।
कृषि विज्ञान केन्द्र के मार्गदर्शन में इस साल कोरिया जिले के ही ग्राम उमझर में 13 एकड़ में और विश्रामपुर में 25 एकड़ में फलोद्यान लगाने के साथ ही अंर्तवर्ती खेती के रूप में लेमन ग्रास का रोपण किया जाना है। ग्राम शिवगढ़ में 14 एकड़ में तथा ग्राम ताराबहरा में साढ़े एकड़ लेमन ग्रास एवं सब्जी की खेती के साथ ही सब्जी-बीज उत्पादन की भी योजना है।