गोठानों में बने वर्मी कम्पोस्ट ने किसानों को जैविक खेती की तरफ भी मोड़ दिया है। कोरबा जिले के पाली विकासखंड में उतरदा गांव के किसान अरूण राठौर ने भी गोठान के वर्मी कम्पोस्ट का उपयोग कर अपने खेत में बैगन की बम्फर फसल ली है। एक सीजन में ही अरूण राठौर ने अभी तक लगभग 80 हजार रूपये के बैगन बाजार में बेच दिए हैं। कोरोना काल में लाकडाउन के बावजूद भी अरूण राठौर के खेत के बैगनों की मांग कोरबा जिला मुख्यालय ही नहीं बल्कि आसपास के जिलों के दूसरे कस्बों में भी है।
अरूण राठौर बताते हैं कि उनके पास कुल आठ एकड़ जमीन है। जिसमें से दो एकड़ में वे सब्जी की खेती करते हैं। इस बार कोरोना के कारण सब्जियों की बिक्री प्रभावित होने की शंका से अरूण ने केवल एक एकड़ रकबे में ही बैगन की फसल लगाई है। अरूण बताते हैं कि उद्यान विभाग के अधिकारियों ने उन्हें बिना रासायनिक खाद का उपयोग किये उगाई गई सब्जियों का अच्छा दाम मिलने की बात बताई और गांव के गोठान से वर्मी कम्पोस्ट खरीदकर जैविक सब्जी उत्पादन के लिए प्रोत्साहित किया। अरूण राठौर ने अधिकारियों की सलाह मानकर अपने गांव के गोठान से 41 क्विंटल वर्मी कम्पोस्ट खरीदा। उन्होंने बैगन की उन्नत किस्म की नर्सरी लगाकर थरहा तैयार किये और केवल वर्मी कम्पोस्ट का उपयोग करके एक एकड़ रकबे में बैगन की खेती की। बिना रसायनिक खाद के केवल वर्मी कम्पोस्ट से ही बैगन की पौधों की बढ़वार भी अच्छी रही। खेत में पौध पूरी तरह स्वस्थ और हरे-भरे हैं। अरूण राठौर ने बताया कि इस बार पौधों में फल भी ज्यादा लगे हैं। रोग और कीड़े बहुत कम हैं, इसलिए कीटनाशक दवाईयों का इस्तेमाल भी नहीं करना पड़ा है। अरूण राठौर खुश होकर बताते हैं कि मंहगी रसायनिक खाद और कीटनाशक दवाईयों का खर्चा बच गया है, जो एक प्रकार से मेरे मुनाफे में ही जुड़ेगा। अरूण राठौर के अनुसार उन्होंने अब तक लगभग 85 क्विंटल बैगन बाजार में बेच दिया है। जिससे उन्हें 80 हजार रूपये से अधिक की आमदनी हुई है। पूरी तरह रसायनमुक्त खेती के कारण इन जैविक बैगनों की बाजार में भारी मांग है। अरूण राठौर अपने गांव के दूसरे किसानों के लिए भी अब प्रेरणास्त्रोत और जैविक खेती सलाहकार के रूप में स्थापित हो रहे हैं। आने वाले समय में अरूण राठौर गोठानों की वर्मी कम्पोस्ट का उपयोग करके जैविक खेती का रकबा बढ़ाने की योजना भी बना रहे हैं।