उद्यानिकी फसलों को बढ़ावा देकर किसानों को मालामाल बनाने के लिए मध्यप्रदेश सरकार द्वारा दिए गए संसाधन इस समय कोरोना संक्रमण के चलते जिले में जारी लॉकडाउन के दौरान किसानों के लिए वरदान बने हुए हैं। इस संकटकाल में भी उनकी रोजी-रोटी अच्छी चल रही है। कोरोना काल के पूर्व राज्य सरकार द्वारा उद्यानिकी फसलों के जरिए आमदनी बढ़ाने के लिए किसानों को अनुदान बतौर ड्रिप, मलचिंग शीट, वीडर, पावर ट्रिलर जैसे उपकरण दिए गए थे, जिससे शुरू की गई उद्यानिकी फसलों की खेती के अच्छे नतीजे अब सामने आने लगे हैं। लॉकडाउन के चलते जब रोजगार की लगभग सभी गतिविधियां बंद हैं, वहीं काश्तकार सरकारी संसाधनों के माध्यम से तरबूज एवं खरबूजे का उत्पादन कर स्वयं के परिवार के साथ अन्य लोगों की भी आजीविका चलाने में सफल हो रहे हैं। जिले के अन्यानेक किसानों के साथ साथ ऐसा ही कमाल कर दिखाया है ग्राम सारंगगढ़ के काश्तकार कौशल प्रसाद प्रजापति ने, जो अपने खेतों में तरबूज एवं खरबूजे की खेती कर 17000 से 18000 प्रतिदिन कमा रहे हैं। किसानों में चाइना के नाम से मशहूर इस तरबूज की प्रसिद्धि का आलम यह है कि छत्तीसगढ़ के मनेंद्रगढ़ एवं किल्हारी तक के व्यवसाई यहां आकर इस तरबूज की मांग कर रहे हैं। कौशल प्रसाद ने इस साल अपने यहां बाहुबली, आरोही, शक्ति चाइना तरबूज की तीन प्रजातियों का बड़े पैमाने पर उत्पादन किया है।
कोयले की खानों के लिए दुनियाभर में मषहूर अनूपपुर जिले के ग्राम सारंगगढ़ के रहने वाले कौशल प्रसाद ने धान उगाने से खेती का सफर शुरू किया था। मगर अधिक मुनाफा ना होने की वजह से उद्यानिकी विभाग की सलाह और तकनीकी मार्गदर्षन लेकर अनुदान बतौर ड्रिप, मलचिंग, वीडर, कैरेट जैसे संसाधनों की बदौलत तरबूज, खरबूजे एवं खीरे की खेती शुरू कर दी। कौशल प्रसाद को सपने में भी इस बात की कल्पना नहीं थी कि सरकारी संसाधनों से आरंभ तरबूज एवं खरबूजे का उत्पादन उन्हें लखपति बना देगा। कौशल प्रसाद ने अपनी लगन, परिश्रम और निष्ठा के बलबूते ना सिर्फ तरबूज एवं खरबूजे उत्पादन का व्यवसाय स्थापित कर लिया, बल्कि इससे हुई कमाई से मकान बनवा लिया, एक ट्रैक्टर खरीद लिया और एक मोटरसाइकिल भी खरीद ली।
महज 3 साल पहले तक उनकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी। सिर्फ धान की खेती पर आजीविका चल रही थी। उसी दौरान उद्यान विभाग के मैदानी अमले ने उन्हें और कई काश्तकारों को इक_ा कर तरबूज एवं खरबूजे की खेती करने के लिए प्रेरित किया। उन्हें तरबूज- खरबूजे की खेती करने के गुर सिखाए। कौशल प्रसाद कहते हैं, ”तरबूज एवं खरबूजे की खेती ने अब सारी टेंशन खत्म कर दी। पहले गृहस्थी चलाने और बच्चों की परवरिश को लेकर बहुत चिंता रहती थी। लॉकडाउन में भी इनकी फसलें भरपूर मुनाफा दे रही हैं”। उद्यानिकी विभाग के सहायक संचालक वी.डी. नायर ने बताया कि जिले में काश्तकारों की माली हालत सुधारने एवं उनकी आय बढ़ाने के लिए उद्यानिकी फसलों की उत्पादकता और उत्पादन को कई गुना बढ़ाने का लक्ष्य रखा गया है। किसानों को प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना अंतर्गत ड्रिप सिंचाई पद्धति, संरक्षित खेती योजना अंतर्गत मलचिंग शीट तथा यंत्रीकरण के अंतर्गत पावर टिलर जैसे संसाधन अनुदान पर दिए गए हैं। यही वजह है कि लॉक डाउन के दौरान भी किसान उद्यानिकी फसलों से मुनाफे के साथ आजीविका चला रहा हैं।
जिले में इस साल तरबूज, खरबूजे की अच्छी पैदावार हुई है और कई गांवों के किसान इसकी खेती करके अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं। जिले में कुल करीब 235 हेक्टेयर में तरबूज एवं कुल 205 हेक्टेयर में खरबूजे की खेती हो रही है। इसमें से उद्यान विभाग की प्रेरणा एवं मदद से किसान लगभग 56 हेक्टेयर में तरबूज एवं 21 हेक्टेयर में खरबूजे की खेती कर रहे हैं, जिनमें आधे आदिवासी हैं। तरबूज एवं खरबूजे के उत्पादन से कई हजार लोगों को रोजगार मिल रहा है और तमाम काश्तकार लखपति बन गए हैं। मजे की बात यह है कि लॉकडाउन में भी इनकी आजीविका प्रभावित नहीं हो पाई।