बादाम स्वास्थ्य के लिए काफी अच्छा माना जाता है, लेकिन इसका ज्यादा सेवन भी हानिकारक होता है। वैसे आपको बता दें कि बादाम में प्रोटीन, विटामिन ई, कैल्शियम, फास्फोरस, फाइबर, एंटी ऑक्सीडेंट्स, हेल्दी फैट, विटामिन डी आदि पाए जाते हैं, जो हमारे स्वास्थ्य के लिए काफी फायदेमंद हैं। तो चलिए आज हम बात करते हैं बादाम की खेती के बारे में…
पहाड़ी क्षेत्रों की फसल
वैसे तो बादाम को पहाड़ी क्षेत्रों की फसल मानी जाती है। लेकिन अब तकनीकों का इस्तेमाल करके इसकी खेती मैदानी क्षेत्रों में भी होने लगी है।
किस्में
बादाम की किस्मों को जलवायु के अनुसार बांटा गया है- पहाड़ी क्षेत्रों में मर्सिड, आई एक्स एल, व्हाईट ब्रान्डिस, नॉन पेरिल, क्रिस्टोमोरटो आदि प्रमुख है। वहीं घाटी वाले क्षेत्रों में काठा, ड्रेक, पीयरलैस आदि. को उगाया जाता है।
जलवायु
इसकी खेती के लिए सूखे गर्म उष्णदेशीय जलवायु की जरुरत होती है। माना जाता है कि बादाम की खेती अधिक ठण्ड और धुन्ध में की जा सकती है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि ग्रीष्म मौसम बादाम की खेती के लिए उपयुक्त नहीं है।
भूमि
बादाम की खेती के लिए समतल, बलुई दोमट वाली चिकनी गहरी उपजाऊ मिट्टी उपयुक्त होती है। याद रखें पौधों में पानी निकासी की व्यवस्था भी उचित होनी चाहिए।
सिंचाई
बादाम की खेती के लिए गर्मियों में 8-10 दिनों में सिंचाई करना चाहिए। वहीं ठंड के दिनों में 20 दिन में सिंचाई करें तो उपयुक्त रहेगा।
कीड़ों से रोकथाम
बादाम के फसलों में चेपा नाम का कीट ज्यादा सक्रिय होता है। इसके कारण पत्ते मुड़कर और पीले हो जाते है और गिर जाते हैं। इसकी रोकथाम के लिए उपयुक्त रसायन का प्रयोग करना चाहिए। इसके साथ ही बादाम में छेदक कीट, काला चेपा, छोटे धब्बे, बैक्टीरियल, जड़ सडऩ, गमोसिस जैसे रोग भी हो सकते हैं। इसलिए विशेषज्ञों से सलाह लेकर इसका रोकथाम करते रहना चाहिए।