बाजार में बिक रहे केमिकल युक्त साबुन की जगह एलोवेरा, नीबू, गुलाब, चारकोल जैसे प्राकृतिक चीजों से साबुन बनाने वाली बिहान की दीदियों के उत्पाद की महक अब बजे बाजारों तक पहुंचने लगी है। धीरे-धीरे ही सही अब बिहान दीदियों के सपने हकीकत में बदलने लगे हैं। साबुन की गुणवत्ता और दीदियों की मेहनत से उनके उत्पादों के लिए बाजार विस्तारित होता जा रहा है। हर्बल साबुन के बारे में जानकारी मिलने पर एक्सिस बैंक प्रबंधन ने दुर्ग जिले के सभी ब्राचों के लिए यह साबुन खरीदने का निर्णय लिया है। उल्लेखनीय है कि राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत ‘बिहान’ योजना के तहत महिलाओं को स्वरोजगार के लिए प्रशिक्षण देकर आर्थिक तौर पर सशक्त बनाने का प्रयास किया जाता है।
एक्सिस बैंक के प्रबंधक संदेश देशकर ने बताया कि एलोवेरा, नींबू जैसे प्राकृतिक तत्वों से बने साबुन के बारे में पता चलते ही हमने अपने ब्रांचों के लिए 25 सौ रुपए का साबुन खरीदा है। जैसे ही जरूरत पड़ेगी, फिर खरीदेंगे। उन्होंने कहा कि ये महिलाएं नये कॉन्सेप्ट को लेकर आगे बढ़ रहीं हैं। इनकी बाजार की नब्ज पर पकड़ भी अच्छी है। वर्तमान समय में लोग केमिकल फ्री और त्वचा के लिए सुरक्षित होने के कारण हर्बल साबुन को अधिक पसंद कर रहे हैं। कोरोना संक्रमण के दौर में हर्बल साबुन उत्पादन महिलाओं की आत्मनिर्भरता के लिए बड़ा कदम साबित हो सकता है। इन्हें अधिक से अधिक प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।
साबुन बनाने मे लगी जय माँ संतोषी स्व-सहायता समूह की अध्यक्ष लक्ष्मी सिंगौर ने बताया कि सांकरा के आजीविका केंद्र में हम साबुन तैयार कर रहे हैं। कुछ समय पहले हमारे लिए सोच पाना भी कठिन था कि हम साबुन बना पाएंगे। अब हमारे द्वारा बनाया साबुन पंचायतों में उपयोग किया जा रहा है। पंचायत विभाग द्वारा हमें साबुन बनाने का प्रशिक्षण दिया गया है। प्रशासन ने लगातार मार्गदर्शन देकर हमारे उत्पादों को बाजार दिलाने के लिए काफी सहयोग किया है। हमें बहुत अच्छा लगता है, जब दूरदराज से हमारे हर्बल उत्पादों लिए फोन आते हैं। लोग अपनी पसंद के अनुसार अलग-अलग फ्लेवर के साबुनों की खरीददारी करते हैं। हमारी कोशिश यही रहती है कि हम लोगों को गुणवत्तापूर्ण उत्पाद उपलब्ध कराएं। मनरेगा में काम के दौरान हाथ नियमित रूप से धोने पर जोर देने से साबुन का उपयोग बढ़ा है। ऐसे में गांवों में साबुन की मांग बढऩे के साथ बाहर भी बड़ा बाजार खुल गया है।
जिला पंचायत सीईओ सच्चिदानंद आलोक ने बताया कि बिहान की महिलाओं द्वारा बनाए गए साबुन को अच्छी सफलता मिल रही है। बहुत से लोग इनसे उत्पादों के बारे में पूछ रहे हैं। अस्पतालों में, पंचायतों में इनके द्वारा बनाये गए साबुनों का प्रयोग हो रहा है। प्रोडक्ट को बेहतर और गुणवत्तापूर्ण बनाने में महिलाओं ने बहुत मेहनत की है। उन्होंने बताया कि महिलाओं को ट्रेनिंग के साथ ही साबुन कारोबार के लिए बाजार से लिंक करने की कोशिशें लगातार जारी हैं। इसका बहुत अच्छा रिस्पांस मिल रहा है।