सुकमा जिला उष्णकटिबंधीय क्षेत्र में होने के कारण यहां की जलवायु विविध प्रकार के वनोपज, वनस्पति, रबी एवं खरीफ फसलों, फल, फूल आदि के उत्पादन की लिए अनुकूल है। जिसका लाभ जिले के कृषकों को मिलता है। कृषक धान, मक्का, कोदो, कुटकी के अलावा भी बहुत प्रकार के फलों की खेती करते है। इस क्षेत्र में बहुतायत में आम और नारियल की खेती देखी जाती है, मगर कुछ कृषक ऐसे भी है, जो पारंपरिक खेती से आगे जाकर विदेशी फलों की फसल लेने का प्रयास कर रहे हैं। जिससे उन्हें अच्छी आमदनी भी प्राप्त हो रही है।
सुकमा जिला मुख्यालय में निवास करने वाले प्रगतिशील कृषक एमयूएन प्रसाद ने प्रारंभिक तौर पर एक एकड़ में ड्रैगन फ्रूट की खेती शुरु की है। इतने क्षेत्र में लगभग 2 हजार पौधे लगाए है। प्रसाद ने बताया कि वे नए-नए प्रयोग करते रहे है, इस बार उन्होंने ‘ड्रैगन फ्रूट’ की खेती की है जो मूलत: मध्य अमेरिका का फल है। ड्रैगन फ्रूट की फसल में केवल एक बार निवेश के बाद पारंपरिक खेती के मुकाबले लगभग 10 वर्षों तक इससे आमदनी हो सकती है।
उन्होंने बताया की ड्रैगन फ्रूट एक प्रकार की कैक्टस बेल है, इस कारण ड्रैगन फ्रूट को पानी की जरुरत बहुत कम पड़ती है। सप्ताह में केवल एक दिन करीब 30 मिनट सिंचाई की आवश्यकता होती है। ड्रिप विधि से सिंचाई के चलते इसमें पानी की बहुत बचत होती है। इसमें चरने या कीड़ों लगने का जोखिम भी नहीं है। क्योंकि यह पौधे लंबाई में बढ़ते है, इसलिए प्रसाद ने सीमेंट के खंभे लगाकर ड्रैगन फ्रूट के पौधों को सहारा दिया है। दो खंभे के बीच 8 से 10 फुट की दूरी रखना जरूरी है।
प्रसाद बताते है की पूर्व में वह धान के अलावा केले की फसल लेते थे, लेकिन केले की फसल में लागत, देख रेख और मौसमी मार का जोखिम अधिक था। बाजार में 40 से 50 रुपए किलो से अधिक कीमत भी नही मिलती थी। इसलिए उन्होंने ड्रैगन फ्रूट की खेती को प्रायोगिक रूप से करने का फैसला लिया। जिसमे उन्हे सफलता मिली। उन्होंने उद्यान विभाग से ड्रैगन फ्रूट के लिए बीज लिए थे, जिससे पौधे बनकर तैयार होने में लगभग एक साल का समय लग गया। उसके पश्चात पौधों में सात से आठ महीनों में फल आने शुरू हुए। विगत वर्ष की तुलना इस बार उन्हें अधिक उत्पादन प्राप्त हुआ है।
बाजरों में अपनी विशिष्ट रूप और गुलाबी या सफेद रंग का स्वादिष्ट फल ड्रैगन फ्रूट सेहत के लिए फायदेमंद माना जाता है। इसमें काफी मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट, विटामिन सी, प्रोटीन, फाइबर और कैल्शियम भी भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं। इस फल का प्रयोग कोलेस्ट्रॉल कंट्रोल सहित हृदय संबंधी कई बीमारियों में लाभदायक माना गया है। कृषक प्रसाद बताते हैं कि एक पौधे से 8 से 10 फल प्राप्त होते हैं। तीन सौ से पांच सौ ग्राम वजनी इन फलों की सीजन में 300 रूपये प्रति किलो तक की कीमत मिल जाती है। वहीं अच्छी देख रेख से इसका उत्पादन बारह मासी भी लिया जा सकता है। इस वर्ष अब तक 5 टन ड्रैगन फ्रूट का विक्रय कर लगभग 8 लाख रुपए की आय हुई है, और 1 टन उत्पादन की संभावना बताई। फल के साथ ही प्रसाद पौधो का विक्रय 50 रुपए की दर से करते हैं।