छत्तीसगढ़ में मिलेट्स के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए प्रारंभ किए गए मिलेट मिशन के तहत प्रदेश में कोदो-कुटकी और रागी के उत्पादन रकबे में बढ़ोत्तरी के लिए कार्ययोजना बनाई जाएगी। प्रदेश में वर्तमान में 69 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में इन फसलों का उत्पादन किया जाता है। अगले खरीदी वर्ष तक फसल उत्पादन के क्षेत्र को बढ़ाकर एक लाख 17 हजार हेक्टेयर किए जाने का लक्ष्य रखा गया है। मुख्य सचिव ने मंत्रालय महानदी भवन में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से आयोजित मिलेट मिशन की अंतर्विभागीय समन्वय समिति की बैठक में कृषि विभाग-बीज विकास निगम-छत्तीसगढ़ लघु वनोपज संघ को आगामी सीजन में मिलेट्स के उत्पादन के रकबे में बढ़ोत्तरी और जरूरी बीज की उपलब्धता, उपलब्ध कोटो-कुटकी-रागी के प्रसंस्करण और मार्केटिंग के संबंध में विस्तृत कार्ययोजना बनाने और राज्य स्तरीय कमेटी के समक्ष प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं। कोदो-कुटकी-रागी के फायदों के विषय में किसानों को जानकारी देेने और इनके उत्पादन के लिए किसानों को प्रेरित करने कहा है।

वर्तमान में छत्तीसगढ़ राज्य लघु वनोपज संघ द्वारा कोदो-कुटकी-रागी की खरीदी समर्थन मूल्य पर की जा रही है। इस खरीदी वर्ष में अब तक 27 हजार क्विंटल मिलेट्स की खरीदी की जा चुकी है। गौरतलब है कि राज्य सरकार द्वारा छत्तीसगढ़ में निर्धारित समर्थन मूल्य के तहत कोदो 30 रूपए, कुटकी (काला) 30 रूपए, कुटकी (भूरा) 30 रूपए, रागी 33.77 रूपए प्रति किलोग्राम की दर पर खरीदी की जा रही है।


1. 60 से 80 दिनों में तैयार हो जाती है फसल

ये फसलें अगस्त के अंतिम सप्ताह या सितम्बर के प्रारंभ में पककर तैयार हो जाती है जबकि अन्य खाद्यान फसलें इस समय पर नहीं पक पाती। 60-80 दिनों में पकने वाली कोदो-कुटकी, सावां,एवं कंगनी जैसी फसलें महत्वपूर्ण खाद्यानों के रूप में प्राप्त होती है।

2. बोनी का समय

कोदो में सूखी बोनी मानसून आने के दस दिन पूर्व करने पर उपज में अन्य विधियों से अधिक उपज प्राप्त होती है। जुलाई के अन्त में बोनी करने से तना मक्खी कीट का प्रकोप बढ़ता है। बोनी से पूर्व बीज को मेन्कोजेब या थायरम दवा 3 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज के हिसाब से बीजोपचार करें।

3. कतार बोनी

कतारों में बोनी करने पर कतार से कतार की दूरी 20-25 से.मी. तथा पौधों से पौधों की दूरी 7 से.मी. उपयुक्त पाई गई है।