ईसबगोल एक झाड़ीनुमा औषधीय फसल है। इसका इस्तेमाल आईस्क्रीम और अन्य चिकने पदार्थों को बनाने में किया जाता है। इसका उत्पत्ति स्थान मिस्र तथा ईरान है, लेकिन अब इसकी खेती भारत, मालवा और सिंध में भी की जाने लगी है। भारत में इसकी खेती गुजरात, राजस्थान, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, पंजाब आदि में होती है। यह 1 मीटर ऊँचे पौधे, पतली डालियाँ पर लंबे लेकिन कम चौड़े पत्ते लगते हैं।
1. किस्में
ईसबगोल की वैसे तो बहुत सी किस्में हैं, फिर भी आपको अच्छा उत्पादन चाहिए तो जवाहर ईसबगोल 4, गुजरात ईसबगोल 2, हरियाणा ईसबगोल 5 का खेती कर सकते हैं। अन्य किस्मों में हरियाणा ईसबगोल 2, गुजरात ईसबगोल 1, निहारिका, ट्राबे सलेक्शन 1 से 10 आदि भी है।
2. महत्ता
ईसबगोल बहु उपयोगी फसल है। इसके बीज का छिलका कब्ज, अतिसार जैसे कई रोगों में काम आता है तो वहीं बीज का छिलका जिसको भुसी कहते है, पानी सोखने की क्षमता रखता है जिस वजह से यह पेट की सफाई, अल्सर, दस्त आव पेचिस, कब्जीयत, बवासीर, जैसी शारीरिक बीमारियों के उपचार में मदद करता है।
3. जलवायु
ईसबगोल की खेती के लिए ठंडी एवं शुष्क जलवायु उपयुक्त होती है। फसल के पकने के समय वर्षा और ओस फसल को नुकसान पंहुचा देता है और हो सकता है की फसल पूरी तरह से खत्म हो जाये इसीलिए इस बात का ध्यान रखना चाहिए।
4. मिट्टी
ईसबगोल की खेती दोमट या बलुई मिट्टी में की जाती है। लेकिन ध्यान रखें मिट्टी में जल निकासी की अच्छी व्यवस्था होनी चाहिए। मिट्टी का पीएच मान भी 7 से 8 हो तो सबसे अच्छा है।
5. बोआई का समय
ईसबगोल की बोआई अक्टूबर के अंतिम सप्ताह से नवम्बर के द्वितीय सप्ताह तक की जाती है, ताकि अच्छी फसल हो सके।
6. बीज उपचार
बीज को 5 ग्राम प्रति किलो मैटालैक्जिल 35 एस. डी. की से उपचार करने के बाद ही बुआई करे। इससे उत्पादन अच्छा होगा।
7. विधि
वैसे तो ईसबगोल की खेती छिड़क विधि से की जाती है। लेकिन यदि आप इसकी कतार बोनी करें तो ज्यादा उपयुक्त होगा। कतार बोनी में कतारों के बीच 30 सेंटीमीटर दूरी और 2 पौधों के बीच 5 सेंटीमीटर की दूरी रखा जाता है।
8 सिंचाई
ईसबगोल की पहली सिंचाई बोआई के तुरन्त बाद कर लें। यदि अंकुरण कमजोर होने लगे तो 5-6 दिन बाद फिर से सिंचाई कर दें। इसके बाद महीने में एक बार सिंचाई काफी होती है। सिंचाई धीमी गति से करें।
9. रोगों से रोकथाम
ईसबगोल के पौधों को खरपतवार से बचाना जरूरी है। इसलिए समय-समय पर निंदाई-गुड़ाई करते रहें। साथ ही रासायनिक नींदा नियंत्रण के लिए 500 लीटर पानी में सल्फोसल्फुरोन की 25 ग्राम या आइसोप्रोटूरोंन की 500-750 ग्राम सक्रिय तत्व की घोलकर बोनी के 20 दिन पर छिड़क दें।
10. उपज
ईसबगोल की उन्नत तकनीक से आपको 20 क्विंटल प्रति हेक्टर उपज मिल सकता है। तीन से चार महीने में फसल पक जाये और पौधों की ऊपरी पत्तियां पीली और नीचे की पत्तियां सूख जाए तो की कटाई कर, बालियों को हथेली में मसल कर दाने निकाल लेना चाहिए। ध्यान रखें कटाई सुबह के समय ही करें।