कृषक अब आधुनिक तकनिकों के उपयोग कर कृषि कार्य से अपने जीवन में बदलाव ला रहें हैं। शासन-प्रशासन की मदद से कृषकों को अब विषम भौगोलिक स्थिति और कृषि कार्यों में लगने वाले संसाधन के अभाव से छुटकारा मिल गया है। सुकमा जिले के कृषकों को लाभ प्रदाय करने के लिए शासन की विभिन्न योजनाओं संचालन किया जा रहा है। नदी किनारे स्थित क्षेत्रों में विद्युत लाईन विस्तार अंतर्गत नदी-नालों के जल का उपयोग कर कृषक रबी एवं खरीफ की फसलें ले रहे हैं। साथ ही कृषक सौर सुजला योजनान्तर्गत सोलर पंप स्थापित कर अपने खेतों एवं बाड़ी में लगे फसलों से लाभ कमा रहें हैं।
सोलर पंप की स्थापना से दूर हुई सिंचाई की चिंता
क्रेडा विभाग द्वारा जिले के कृषकों को नि:शुल्क सिंचाई का लाभ प्रदाय किया जा रहा है। सौर सुजला योजना योजना फेस-04 के अन्तर्गत जिले के तीनों विकासखण्ड में कुल 745 किसानों के खेतों में भिन्न-भिन्न क्षमता (3 एच.पी. एवं 5 एच.पी.) के सबमर्सिबल तथा सरफेस पंपो की स्थापना की गई है। जिसमें 505 कृषकों को नलकुप हेतु सबमर्सिबल पम्प एवं 240 कृषकों को नदी, नाला, तालाब एवं कुंआ से पानी का उपयोग करने हेतु सरफेस पंप प्रदाय किए गए हैं। सोलर पंप की स्थापना से कृषकों को सिंचाई में तो सहायता मिली ही है साथ ही कृषक सिंचाई के दौरान खपत होने वाली बिजली की लागत से भी चिंतामुक्त हुए हैं। जिससे वह अपनी फसलों से शुद्ध लाभ अर्जित कर रहे हैं। क्रेडा विभाग द्वारा प्राप्त जानकारी के अनुसार सुकमा विकासखण्ड के 21 ग्राम पंचायत के 125 कृषकों को सौर सुजला योजना का लाभ प्रदाय किया गया। इसी प्रकार विकासखण्ड छिन्दगढ़ के 51 ग्राम पंचायत के 407 कृषक एवं कोण्टा विकासखण्ड अन्तर्गत 25 ग्राम पंचायत के 213 कृषक को इस योजना के तहत लाभान्वित किया गया है।
गौठानों में भी सोलर पंप के माध्यम से हो रही सिंचाई
गौठानों में स्व-सहायता समूहों द्वारा मुर्गी पालन, मशरुम उत्पादन आदि के साथ साग सब्जियों का उत्पादन भी कर रहें हैं। जिसमें गौठान की भूमि को सिंचने के लिए पानी की व्यवस्था के लिए नलकूप स्थापित किए गए हैं। इन नलकूप से पानी खिंचने के लिए क्रेडा विभाग द्वारा सोलर पम्पों की स्थापना की गयी है। सौर सुजला योजना योजना फेस-04 के अन्तर्गत कुल 55 गौठानों एवं चारागाहों में सौर सुजला योजना के तहत सोलर पंप की स्थापना की गई है। इस प्रकार कुल 800 पंपो की स्थापना क्रेडा विभाग द्वारा किया गया है। पम्पों स्थापित होने से गोठानों में विभिन्न गतिविधियां संचालित की जा रही है, जिससे स्व-सहायता समूहों की महिलाओं को रोजगार के साधन उपलब्ध होने लगे हैं। जिसकी मदद से कृषकों के साथ ही स्व-सहायता समूह की महिलाएं भी लाभान्वित हो रही हैं।