मशरूम की खेती
मशरूम की खेती

अपनी पौष्टिक गुणों से भरपूर मशरूम को भारत में सब्जियों की मल्लिका कहा जाता है। क्योंकि मशरूम है ही ऐसा। मशरूम की खेती तो वैसे अब पूरे मौसम में की जाती है। लेकिन बरसात में जो मशरूम आता है, उसकी बात ही कुछ और है। तभी तो इसकी कीमत बाजार में हजारों में होती है।

वैसे आपको बता दें कि मशरूम वनस्पति कुल के ही फफूंद का एक समूह है। अनुकूल परिस्थितियों में प्राकृतिक अवस्था में सड़े-गले पदार्थों पर उग जाता है। इसकी अनेक प्रजातियाँ है, जिसमें से कुछ खाद्य योग्य एवं कुछ विषैली होती है। इसकी बुआई का समय- जुलाई से अक्टूबर तथा फरवरी से अप्रैल है।

ऐसे करें मशरूम की खेती
मशरूम की खेती के लिए वैसे तो कोई विशेष आवश्यकता नहीं होती। फिर भी इसकी खेती प्राय: दो प्रकार की होती है। इसमें एक इसे खुले जमीन पर उगाया जा सकता है या फिर किसी भी मौसम में बंद कमरे में। इसके खेती और ज्यादा जानकारी के लिए कृषि वैज्ञानिकों की सलाह भी ले सकते हैं। वैसे अवशेषों तथा कृषि आधारित कुटीर उद्योग धन्धों से निकलने वाले अवशेष पदार्थों का प्रयोग कर इसकी खेती की जा सकती है। इसके अलावा  बन्द कमरे में खेती करने के कारण कम से कम जगह की आवश्यकता होती है।

इस मशरूम की खेती हेतु गेहूँ के भूसें को बोरे में भरकर रातभर के लिए साफ पानी भिगो दिया जाता है और जब भूसे में लगभग 70 प्रतिशत नमी रह जाये तब यह बिजाई के लिए तैयार हो जाता है। बिजाई के 20 से 25 दिन बाद फफूंद पूरे भूसे में समान रूप से फैल जाती है। इसके बाद आवरण मृदा तैयार कर 2 से 3 इंच मोटी पर्त थैली के मुँह को खोलकर ऊपर समान रूप से फैला दिया जाता है। आवरण मृदा लगाने के लगभग 20 से 25 दिन बाद आवरण मृदा के ऊपर मशरूम की बिन्दुनुमा अवस्था दिखाई देने लगती है। अगले 3 से 4 दिन में मशरूम तोड़ाई योग्य हो जाता है।

गुण
मशरूम वैसे तो गुणों की खान है। फिर भी हम आपको इसके कुछ गुणों की जानकारी यहां दे रहे हैं। यह पोषकीय एवं औषधीय गुणों से भरपूर है। इसके साथ ही ये विभिन्न रोगों के प्रति रोग प्रतिरोधी क्षमता भी बढ़ाता है।

आय का बेहतरीन स्रोत
मशरूम की खेती से हर आयु वर्ग के लोग रोजगार के साधन प्राप्त कर सकते हैं। इसके साथ ही कुटीर उद्योग धन्धों का बढ़ावा भी इसकी खेती से मिलता है। बहुत ही कम जगह में इसकी खेती से मुनाफा भी ज्यादा होता है।
वहीं ये वातावरण के अनुकूल (इकोफ्रेंडली) है।

खरीफ में दो फसल की गुंजाइश
वैसे तो साल भी किसी भी फसल की दो बार फसल लेने की गुंजाइश होती है। लेकिन  आपको बता दें कि मशरूम में एक ऐसा उत्पादन है, जिसकी खरीफ में ही बार भी फसल की गुंजाइश होती है। प्राकृतिक दशा में खरीफ में दो प्रकार से मशरूम की खेती की जा सकती है।