सीताफल की खेती और व्यावसायिक लाभ…
सीताफल वैसे तो आम फलों से काफी अलग होता है, पर अपनी मिठास के चलते ये काफी लोकप्रिय है। और हां, इसका अंग्रेजी नाम कस्टर्ड एप्पल है। इसे शुगर एप्पल भी कहा जाता है। बाहर से गांठदार खंडों से बना एक मोटा छिलका फल होता है सीताफल। इसके अंदर के फल सफेद और मुलायम होता है। यह ठंड के मौसम में मिलता है और खाने में बहुत ही मीठा और स्वादिष्ट फल होता हैं। सीताफल में औषधीय गुण भी होते है। सीताफल से स्वीट डिश और आईसक्रीम बनाने के लिए भी किया जाता है। तो चलिए आज हम बात करते हैं सीताफल की खेती के बारे में…
- जलवायु
शुष्क जलवायु में इसकी खेती काफी अच्छी होती है। लेकिन यदि ज्यादा समय तक और तेज ठंड का मौसम हो तो इसकी फसल प्रभावित हो सकती है। इसलिए फूल आने के समय शुष्क मौसम लेकिन 40 ए से कम तापमान होना चाहिए।
- मिट्टी
वैसे तो सीताफल की खेती सभी प्रकार की मिट्टियों में की जा सकती है। लेकिन यदि दोमट मिट्टी हो तो फसल अच्छी होती है। मिट्टी का पीएच मान 5.5-7 हो तो उपयुक्त होता है। ध्यान रखें कि मिट्टी में जल निकासी का अच्छा प्रबंधन होना चाहिए।
3.फायदे
सीताफल में पोटैशियम, विटामिन ए, विटामिन सी, राइबोफ्लोविन, कॉपर, आयरन, फाइबर और मैग्निशियम मौजूद होता है। इसका उपयोग अस्थमा में, दिल की बीमारियों में, आंखों की रोशनी को बढ़ाने में, गर्भवती महिलाओं के लिए, दिमाग के लिए, ब्लड प्रेशर को कम करने और डायबिटीज के मरीजों के लिए अच्छा माना जाता है।
- पौधरोपण
सीताफल की खेती यदि कलम के तरीके से की जाए तो फल आने में 2 साल का समय लगता है। पौधे जुलाई-अगस्त या फरवरी-मार्च में शाम के समय गड्ढे तैयार कर उसमें रोपेे।
- उर्वरक
सीताफल की खेती कमजोर या अनुपजाऊ मिट्टी में भी सफलतापूर्वक की जा सकती है, लेकिन समय पर जैविक और रासायनिक उर्वरक का प्रयोग उचित समय पर करना जरूरी है। यानी पौधारोपण के समय 10 किलो गोबर, 50 ग्राम अमोनियम सल्फेट, 100 ग्राम सिंगल सुपर फास्फेट, 25 ग्राम पोटाश डाले। 2-3 साल बाद इसकी मात्रा दुगुना कर दे और फिर जरुरत के अनुसार खाद दे।
- सिंचाई
सीताफल की खेती के लिए सिंचाई की ज्यादा जरूरत तो नहीं होती है, लेकिन फिर भी पौध रोपण के तुरंत बाद सिंचाई अवश्य करें। यदि गर्मी में इसकी खेती कर रहे हैं तो 15 दिन और सर्दी के मौसम में फसलों के लिए महीनेभर में सिंचाई करनी चाहिए।
- निंदाई-गुड़ाई
सीताफल के पौधों को खरपतवार से बचाने समय-समय पर निंदाई गुड़ाई करते रहना चाहिए।
- कीट और रोगों से बचाव
सीताफल के पौधों में वैसे तो इसकी खुशबू के चलते कीड़ों का आक्रमण नहीं होता है। फिर भी कभी-कभी बग पौधों को नुकसान पहुंचाते हैं। इसलिए 15 दिन के अंतर से 2-3 बार पैराथीयान का छिड़काव करे।
- कटाई
एक बार पौधे लग जाए तो ये 10 से 15 साल तक अच्छी उपज देते हैं। फलों की तुड़ाई सितंबर-नवंबर में जब फल पक जाये तब करनी चाहिए।
- पैदावार
सीताफल के पौधे 2 से 4 वर्ष में भी फसल देना शुरू कर देते हैं। शुरूआत में इसके पौधों से 50 से ज्यादा फल निकलते हैं। और भी अगले साल तक ये 100 के करीब एक पेड़ फल देने लगता है। जिसकी बाजार में अच्छा दाम मिलता है।