आकार में स्टार की शक्ल की होने के कारण कमरख को स्टार फ्रूट भी कहा जाता है। वैसे इसका वैज्ञानिक नाम कारामबोला है। स्वाद में कमरख खट्टा-मीठा होता है। खास बात यह है कि कमरख का छिलका भी खाने योग्य होता है। रंग में यह पीला या हरा दोनों ही प्रकार का होता है। इसे पका भी खाया जाता है और जूस भी बनाया जा सकता है। तो चलिए आज हम बात करते हैं कमरख की खेती की…

  1. जलवायु

कमरख की खेती के लिए मध्यम तापमान होना आवश्यक है। इसकी खेती के लिए उष्णकटिबंधीय जलवायु सबसे अच्छी होती है। इसकी अच्छी पैदावार के लिए पौधों को धूप देने की जरूरत होती है। लेकिन पौधों को भारी हवाओं से बचाना जरूरी है।

  1. मिट्टी

वैसे तो कमरख की खेती के लिए किसी खास प्रकार की मिट्टी की आवश्यकता नहीं होती है। इसकी खेती किसी भी प्रकार की मिट्टी में की जा सकती है। लेकिन ध्यान रखें मिट्टी में अच्छी मात्रा में कार्बनिक पदार्थ होना चाहिए। मिट्टी में नमी नहीं होनी चाहिए। मिट्टी का पीएच मान 5.5 से 6.5 मान तक हो तो ज्यादा अच्छा है। ध्यान रखें मिट्टी में जल निकासी की अच्छी व्यवस्था होनी चाहिए।

  1. सिंचाई

कमरख की खेती आमतौर पर गर्मियों में की जाती है, इसलिए पानी की ज्यादा जरूरत होती है। पहली सिंचाई तो पौध रोपण के तुरंत बाद कर लेनी चाहिए। फिर गर्मियों में हर 15 दिन बाद और ठंड में कम से कम महीने भर सिंचाई अवश्य करते रहना चाहिए। वर्षा के समय बार-बार सिंचाई की जरुरत नहीं होती लेकिन वर्षा का पानी खेत में जमा ना रहे इसलिए खेत में जल निकासी प्रबनध अच्छा करे। ध्यान रखें खेत में यदि ज्यादा पानी होगा तो जड़ को नुकसान पहुंच सकता है।

  1. खेत की तैयारी

कमरख की बोआई से पहले खेत को अच्छे से तैयार कर लेना चाहिए। इसके लिए सबसे पहले खेत से खरपतवार, कंकड़, पत्थर आदि भी हटा दें। इसके बाद खेत को 2-3 बार जुताई कर दें, जिससे मिट्टी चिकनी स्थिति प्राप्त कर लेगा। इसके बाद 8 बाई 8 मीटर की दूरी पर रखते हुए गड्ढे खोद ले और इसमें मिट्टी और खाद का मिश्रण भर दें। इन गड्ढों में पौधा रोपने के बाद उसे मिट्टी से कवर कर देना चाहिए।

  1. उर्वरक

खेत को जैविक खाद उर्वरक दिया जाना चाहिए और जितनी जरुरत हो उतनी ही देनी चाहिए। बहुत अधिक मात्रा में उर्वरकों को भूमि को नुकसान पहुंचा सकते हैं।

  1. खरपतवार से नियंत्रण

कमरख के पौधों को खरपतवार से बचाने नियमित रूप से निंदाई गुड़ाई करते रहना चाहिए। अन्यथा खरपतवार मिट्टी से पोषक तत्वों को अवशोषित कर लेते हैं और फसल की पैदावार कम हो जाती है। इसलिए समय समय पर खरपतवार से बचाव के लिए निंदाई गुड़ाई अवश्य करते रहें।

  1. फायदे

कमरख में विटामिन बी, विटामिन सी, सोडियम, पोटेशियम, आयरन और कई महत्वपूर्ण एंटीऑक्सीडेंट होता हैै। इसे खाने से शरीर के रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ता है, पेट से जुड़ी समस्या, दिल के लिए, कैंसर क खतरा कम करने में और हानिकारक बैक्टीरिया को कम करने में मदद करता है। कच्चा कमरख में 91 प्र. पानी, 7 प्र. कार्बोहाइड्रेट, 1 प्र. प्रोटीन है, और बहुत ही कम मात्रा में फैट होता है।

  1. नुकसान

कमरख में कैरमबॉक्सिन और ऑक्सालिक एसिड होता है जो किडनी खराब, किडनी स्टोन या किडनी डायलिसिस उपचार से पीडि़त व्यक्तियों के लिए हानिकारक होता है। इसलिए बिना डॉक्टर के अनुमति के इसका इस्तेमाल ऐसे व्यक्तियों को नहीं करना चाहिए।

  1. कटाई

कमरख की कटाई से पहले यह देख लें कि फल पककर तैयार हो गए हैं या नहीं। कमरख के फल जब पक जाएं तो वे रंग बदल लेते हैं, तभी इसकी कटाई आराम से करनी चाहिए। ध्यान रखें कटाई ऐसे करें कि फलों को नुकसान बिल्कुल ना हो।

  1. पैदावार

कमरख का एक पेड़ हर साल 100 किलोग्राम तक फल दे सकता है। जिसकी बाजार में अच्छी खासी मांग रहती है और आपको इसका अच्छा दाम भी मिल सकता है।