स्ट्रॉबेरी शरीर को फायदा पहुंचाने के अलावा यह सुंदरता को बढ़ाने के काम भी आता है. इसके चटख रंग और मीठे स्वाद की वजह से बच्चे भी इसे बहुत पसंद करते हैं. स्ट्रॉबेरी लाल रंग का दिल के आकर में एक बहुत ही नाज़ुक फल है, जिसका स्वाद खट्टा-मीठा होता है, जिस वजह से यह लोगो को काफी पसंद होता है। स्ट्रॉबेरी की 600 किस्में हैं यह सभी स्वाद रंग रूप में एक दूसरे से भिन्न होते है। स्ट्रॉबेरी की खुशबू और स्वाद की वजह से इसका इस्तेमाल आइसक्रीम और केक में किया जाता है। तो चलिए आज हम बात करते हैं स्ट्रॉबेरी की खेती की…
1. फायदा
विटामिन सी का एक उत्कृष्ट स्रोत होने के नाते, स्ट्रॉबेरी को इम्यून सिस्टम के लिए वरदान माना जाता है. इसके अलावा ये शरीर को कई तरह की बीमारियों से भी बचाता है. स्ट्रॉबेरी हृदय स्वास्थ्य को बूस्ट करने में मदद करता है. यह फल ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करके और खराब कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रित करके हृदय रोग के जोखिम को कम कर सकता है. स्ट्रॉबेरी फाइबर से समृद्ध होता है, इसलिए यह कब्ज के इलाज में मदद कर सकता है. स्ट्रॉबेरी में कई प्रमुख विटामिन और लवण मौजूद होते हैं. स्टॉबेरी में विटामिन सी, विटामिन ए और के पाया जाता है. इसके साथ ही यह कैल्शियम, मैग्नीशियम, फॉलिक एसिड, फॉस्फोरस, पोटैशियम और डायट्री फाइबर्स से भरपूर होता है. खास बात यह है कि इसमें सोडियम, कोलेस्ट्रॉल और फैट न के बराबर होता है. इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट और प्लांट कम्पाउंड दिल के स्वास्थ्य और रक्त शर्करा को नियंत्रित करने के लिए अच्छे होते हैं.
2. जलवायु
स्ट्रॉबेरी की खेती के लिए जलवायु संतुलित होना जरूरी है। इसकी खेती के लिए ना तो एकदम कम तापमान और ना ही एकदम से ज्यादा तापमान की जरूरत होती है। इसकी खेती के लिए शीतोष्ण जलवायु सबसे उपयुक्त है। साथ ही तापमान 20 से 30 डिग्री के बीच हो तो सर्वोत्तम है। ध्यान रखें तापमान बढऩे से पौधों को नुकसान पहुंच सकता है।
3. मिट्टी
स्ट्रॉबेरी की खेती किसी भी प्रकार की मिट्टी में की जा सकती है। इसकी खेती के लिए कोई खास किस्म की मिट्टी की आवश्यकता नहीं होती है। फिर यदि आप अच्छी उपज चाहते हैं तो बलुई दोमट मिट्टी में इसकी खेती करें तो लाभ होगा। मिट्टी का पीएच मान 5 से 6.5 होना चाहिए।
4. किस्में
स्ट्रॉबेरी की व्यावसायिक रूप से खेती करने के लिए ओफ्रा, सिसकेफ़, चांडलर, ब्लेक मोर, कमारोसा, एलिस्ता, फेयर फाक्स, स्वीट चार्ली आदि किस्में है।
5. पौधरोपण
स्ट्रॉबेरी की खेती के लिए सबसे पहले सितम्बर की शुरूआत में 3 बार जुताई करके 1 हेक्टेयर खेत में 75 टन के हिसाब से सड़ी हुई खाद् अच्छे से मिटटी में मिला दें। सितम्बर से अक्टूबर तक स्ट्रॉबेरी के पौधे लगाने का सही समय होता है लेकिन अगर तापमान ज्यादा हो तो सितम्बर अंतिम में पौधा लगाना चाहिए।
6. उर्वरक
स्ट्रॉबेरी की खेती के लिए कृषि वैज्ञानिकों से सलाह लेकर समय समय पर पोटाश और नाइट्रोजन फास्फोरस देना ज़रुरी होता है।
7. सिंचाई
स्ट्रॉबेरी के पौधे लगाने के तुरंत बाद पहली सिंचाई करें। उसके बाद नमी के अनुसार समय समय पर सिंचाई करते रहें। फल आने से पहले फौव्वारे और फल आने के बाद टपक विधि से सिंचाई करना बेहतर होगा।
8. रोग एवं कीटों से बचाव
स्ट्रॉबेरी में रस भृग, स्ट्रॉबेरी मुकट कीट कण, जड़ विविल्स झरबेरी और कीटों में पतंगे, मक्खियाँ चेफर जैसे कीट इसको नुकसान पंहुचा सकते है। इसके अलावा पत्तों पर पत्ती स्पाट, पत्ता ब्लाइट, ख़स्ता फफूंदी से प्रभावित हो सकती है। इसकी रोकथाम के लिए पौधों की जड़ों में डाले नीम की खल डाले और वैज्ञानिकों की सलाह से समय समय पर पौधे रोगों की पहचान कर कीटनाशक दवाइयों का छिड़काव करे।
9.तोड़ाई
जब स्ट्रॉबेरी का रंग 70 प्रतिशत असली हो जाये तो तोड़ लेना चाहिए। तुड़वाई अलग अलग दिनों करनी चाहिए और फल को पकड़ कर नहीं बल्कि उसके टहनियो को पकड़ कर तोडऩा चाहिए। नहीं तो फल खराब हो सकता है।
10. लाभ
स्ट्रॉबेरी का उपयोग कई प्रकार से किया जाता है। खासकर, इसका उपयोग केक और आईसक्रीम बनाने में होता है, इसलिए बाजार में इसके अच्छे दाम मिलते हैं। इसलिए इससे लाभ भी अच्छा होता है। इसलिए आजकल किसान इसकी खेती की ओर रुख करने लगे हैं।