पूरे देश में वर्षा का अनुपात एक समान नहीं होता है। इसलिए वर्षा को देखते हुए किसान फसल लेते हैं। लेकिन यदि आप कम वर्षा वाले क्षेत्रों में भी अच्छी फसल लेना चाहते हैं तो इसके बारे में जानकारी होना बहुत जरूरी है। तो चलिए आज हम बात करते हैं कम वर्षा वाले क्षेत्रों में फसल लगाने की विधियों के बारे में…
नमी बरकरार रखें
कम वर्षा वाले की भूमि को शुष्क भूमि कहा जाता है। जहां मिट्टी में नमी बहुत कम या नहीं के बराबर होती है। लेकिन अब ऐसे भी क्षेत्रों में खेती की जाने लगी है। यहां बिना सिंचाई के ही मिट्टी की नमी को बरकरार रखकर फसल ली जाती है। लेकिन ज्यादा पानी वाले फसल को नहीं लिया जा सकता है।
गहरी जुताई करें
वर्षा की कमी के कारण मिट्टी की नमी को बनाये रखने गहरी जुताई की जाती है और वाष्पीकरण को रोकने का प्रयास किया जाता है। हमारे देश में राजस्थान, गुजरात, हरियाणा, महाराष्ट्र, आंध्रप्रदेश और कर्नाटक राज्य के कई हिस्सों में ऐसी खेती की जाती है। इन क्षेत्रों में ज्वार, बाजरा, मक्का, कपास, मूंगफली, दालें एवं तिलहन की फसलें ली जाती हैं। इन क्षेत्रों में कृषि करने ऐसी तकनीक का विकास किया गया है, जिससे मिट्टी, जल एवं फसलों का उचित प्रबंधन किया जा सके, जिससे असिंचित होने की स्थिति में भी फसल उत्पादन प्रभावित ना हो सके।
फसल कटने के बाद पुआल या पत्तियां बिछा दें
कम वर्षा वाले क्षेत्रों में भूमि की नमी बरकरार रखने फसल कटने के बाद नमी संरक्षण के लिए खेत में पुआल या पत्तियाँ बिछा दी जाती है। याद रखें यह तकनीक बोआई के तुरन्त बाद ही अपनाई जाती है। साथ ही यहां वर्षा जल को तालाब में बाँधकर जमा रखा जाता है। वहीं खरीफ फसल कटने के तुरन्त बाद रबी फसल लगायी जाती है ताकि मिट्टी में बची नमी से रबी अंकुरण हो सके।