पौष्टिक तत्वों से भरपूर मटर दलहनी फसल है। इसका उत्पादन मुख्यत: सब्जी और खेती के लिए किया जाता है। इसके अलावा भी मटर में कई गुण होते हैं। मटर दाल की आवश्यकता की पूर्ति के लिये पीले मटर का उत्पादन करना अति महत्वपूर्ण है, जिसका प्रयोग दाल, बेसन एवं छोले के रूप में अधिक किया जाता है। आज हम आपको बताते हैं मटर की खेती के बारे में…

  1. मिट्टी

मटर की खेती वैसे तो सभी प्रकार की मिट्टियों में की जा सकती है। लेकिन ज्यादा से ज्यादा उत्पादन के लिए दोमट और बलुई मिट्टी उपयुक्त होती है। लेकिन याद रखें मिट्टी का पीएच मान 6 से 7.5 होना आवश्यक है।

  1. भूमि की तैयारी

मटर के उत्पादन के लिए भूमि की तैयारी करना आवश्यक है। इससे उत्पादन अच्छा होता है और गुणवत्ता भी भरपूर होती है। इसलिए मटर की बोआई से पहले खरीफ फसल की कटाई के पश्चात एक गहरी जुताई कर पाटा चलाकर उसके बाद दो जुताई कल्टीवेटर या रोटावेटर से कर खेत को समतल और भुरभुरा तैयार कर लें।

  1. किस्में

मटर की किस्मों में जे.एम.-6, प्रकाश 2007, के.पी.एम.आर. 400, आई.पी.एफ.डी.-99, आई.पी.एफ.डी.1-10, आई.पी.एफ.डी.-99-25 आदि प्रमुख है।

  1. बीज उपचार

मटर को बोने से पहले उसके बीजों का उपचार करना आवश्यक है। अन्यथा कीड़ों से प्रभावित होने पर पौधों का उत्पादन नहीं हो पाता। बीज जनित रोगों से बचाव हेतु फफूंदनाशक दवा थायरम + कार्बनडाजिम (2$1) 3 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज और रस चूसक कीटों से बचाव हेतु थायोमिथाक्जाम 3 ग्राम प्रति किलो ग्राम बीज दर से उपचार करना चाहिए।

  1. रोग से बचाव

मटर की फसल में कई प्रकार के रोग देख गए हैं। अत: इनकी पहचान कर इनसे बचाव के उपाय करना चाहिए। मटर के फसल में भभूतिया रोग (पावडरी मिल्डयू) का लक्षण दिखे तो बीजोपचार थायरम एवं कर्बेन्डिजिम और घुलनशील सल्फर या मेंकोजब का पर्णीय छिड़काव 2+1 ग्राम/कि.ग्रा. बीज की दर से बीजोपचार और 1 से 1.5 ग्राम/लीटर या 2.5 ग्राम/ली. पानी की दर से छिड़काव करना चाहिए।

  1. कीटों से सुरक्षा

मटर की फसल को कीटों से सुरक्षित करना आवश्यक है। अन्यथा कीट फसल को खराब कर देते हैं। मटर की फसल में माहू लगता है। जो पत्ती, फूल एवं फलियों से रस चूसते हैं। इससे बचाव के लिए इमिडाक्लोरो प्रिड 17.8 एस.एल. 0.5 मि.ली./ली. पानी की दर से छिड़काव करे। कीट प्रकोप होने पर 500 ली. पानी/हे. की दर से घोल बनाकर छिड़काव करें। स्टेम फ्लाई एवं लीफ माइनर भी तना एवं पत्ती का रस चूस लेते हैं। इससे बचाव का उपाय करते रहना चाहिए। इसके साथ ही मटर में फलीछेदक कीट भी लगते हैं, जो फसलों को काफी नुकसान पहुंचाते हैं। अत: इनसे बचाव के लिए प्रोफेनोफॉस 50: ई.सी. 1.5 मि.ली./ली. पानी की दर से छिड़काव करें कीट प्रकोप होने पर 500 ली. पानी/हे. की दर से घोल बनाकर छिड़काव करें।

  1. भंडारण

फसल तैयार हो जाने पर मटर का भंडारण आवश्यक होता है। याद रखें जब बीज अच्छी तरह सूख जाए और नमी की मात्रा 8 से 10 प्रतिशत तक रह जाए। तब ही इसका भंडारण करना चाहिए।

विदेशों में लोकप्रिय हो रहा है यहां का मटर….

जबलपुर की स्वादिष्ट हरी मटर की मिठास केवल स्थानीय नागरिकों को ही नहीं, वरन अन्य राज्यों, यहाँ तक कि विदेशों में भी लोगों को लुभा रही है। जबलपुर की मटर की लोकप्रियता के चलते इसे मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान की महत्वाकांक्षी पहल एक जिला-एक उत्पाद योजना के अंतर्गत चिन्हित किया गया है।

जबलपुर के कलेक्टर कर्मवीर शर्मा ने मटर उत्पादन के वर्तमान रकबे में वृद्धि, अच्छे किस्म के बीजों की बोनी और मटर के प्र-संस्करण पर विशेष ध्यान दिया है। वे बताते हैं कि इसके विपणन नेटवर्क को व्यापक स्वरूप देकर जबलपुर की मटर की ग्लोबल ब्रॉण्डिंग भी की जा रही है। जबलपुर की मटर अपनी गुणवत्ता और मिठास के चलते देश की मण्डियों में हाथों-हाथ बिकती है। आलम यह है कि बड़े शहरों के बड़े व्यापारी किसानों से सीधे मटर खरीदकर इसकी बाहर सप्लाई कर रहे हैं। मटर की ज्यादा से ज्यादा मात्रा जिले में ही प्रसंस्कृत कर बाहर भेजने की भी योजना है।

वर्तमान में जबलपुर की मटर देश की नामचीन मण्डियों मुम्बई, हैदराबाद, भोपाल, नागपुर और रायपुर के अलावा सात समन्दर पार जापान और सिंगापुर के लोगों के व्यंजनों का जायका बढ़ा रही है। जबलपुर जिले में फिलहाल निजी क्षेत्र की 2 मटर प्र-संस्करण यूनिट कार्यरत हैं। जिले के भानु फार्म शहपुरा से साल में 5 से 8 हजार मीट्रिक टन मटर की प्रोसेसिंग की जाती है। यहीं से प्रोसेस्ड मटर सिंगापुर और जापान भेजी जाती है। दूसरी यूनिट फ्रोजन एग्रो इण्डस्ट्री औद्योगिक क्षेत्र उमरिया-डुंगरिया में स्थापित है।

जबलपुर के कलेक्टर ने मटर उत्पादक किसानों, उद्यमियों और मटर प्र-संस्करण इकाईयों के संचालकों के साथ बड़ी कार्यशाला कर एक जिला-एक उत्पाद योजना के तहत जिले में मटर की फसल के चयन की जानकारी दी और इसके व्यापक उत्पादन एवं मार्केट लिंकेज के संबंध में विस्तृत चर्चा की। जिले में मटर उत्पादक किसानों, प्रोसेसिंग यूनिट, थोक व फुटकर व्यापार से संबद्ध लोगों, निर्यातकों, कोल्ड स्टोरेज लगाने के इच्छुक उद्यमियों का व्हाट्सएप ग्रुप बनाकर सभी को एक प्लेटफार्म पर लाने की अभिनव पहल की गई है।

 जबलपुर कलेक्टर बताते हैं कि मटर से लोगों को खेत से मण्डी तक काम मिलता है। मटर की तुड़ाई, ढुलाई और परिवहन के साथ-साथ सब्जी ठेला और रेहड़ी व्यापारियों को भी काम मिलता है। जिला प्रशासन मटर की प्र-संस्करण व्यवस्था को और अधिक सुदृढ़ बनाने के लिये प्रयत्नशील है, ताकि रोजगार के अवसरों में बढ़ोतरी हो।

   मुख्यमंत्री श्री चौहान ने भी अपने एक ट्वीट में एक जिला-एक उत्पाद के तहत जबलपुर की मटर की ब्रॉण्डिंग एवं गुणवत्ता को बढ़ाने के लिये कार्यशाला के आयोजन एवं कोल्ड स्टोरेज अधोसंरचना विकास की पहल को प्रशंसनीय बताया है।