मध्यप्रदेश पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग द्वारा बारिश के मौसम में भी श्रमिकों को स्थानीय स्तर पर रोजगार उपलब्ध करवाने के लिये कार्यों का चिन्हांकन किया गया है, जिससे श्रमिकों को रोजगार मिलता रहे। सभी जिलों के मुख्य कार्यपालन अधिकारियों को निर्देश दिये गये हैं कि बरसात के मौसम में ग्राम पंचायतों के माध्यम से वृक्षारोपण एवं जल-संरक्षण के कार्यों को प्राथमिकता दी जायेगी। मुख्यमंत्री की मंशानुरूप श्रमिकों को रोजगार देने के लिये मनरेगा योजना की कार्य-योजना में संशोधन कर चालू वित्तीय वर्ष के लेबर बजट को भी बढ़ाया गया है।
राज्य शासन द्वारा वापस लौटे प्रवासी श्रमिकों और पूर्व से कार्यरत श्रमिकों को वर्षाकाल में नियमित रोजगार उपलब्ध कराने के लिये मनरेगा की कार्य-योजना में संशोधन कर चालू वित्तीय वर्ष में पूर्व निर्धारित लेबर बजट 20 करोड़ 50 लाख मानव दिवस को बढ़ाकर 34 करोड़ मानव दिवस किया गया है। कुल बजट वृद्धि में अतिरिक्त रूप से 13 करोड़ मानव दिवस रोजगार सृजित हो सकेंगे। सभी जिलों के मुख्य कार्यपालन अधिकारियों को ग्रामीण क्षेत्रों में ऐसे सामुदायिक कार्य प्राथमिकता से कराने के निर्देश दिये हैं, जिनमें अधिक से अधिक श्रमिकों को रोजगार प्राप्त हो सके। मानसून अवधि में सामुदायिक भूमि पर वृक्षारोपण, निजी भूमि पर फलोद्यान, मंदिर कुंज, हैबिटेट रेस्टोरेशन जैसे कार्य कराने तथा जल-संरक्षण और संवर्धन के कार्यों के तहत कंटूर ट्रेंच, बोल्डर चेकडेम, गोवियन संरचना जैसे कार्य प्रारंभ कर अधिक से अधिक श्रमिकों को रोजगार देने के निर्देश दिये गये हैं।
मनरेगा की कार्य-योजना में किये गये संशोधन के तहत स्व-सहायता समूहों की गतिविधियों को गति देने के लिये कैटल शेड, गोट सेट, पोल्ट्री सेट जैसी संरचना स्थानीय आवश्यकता के अनुसार बनाने के निर्देश दिये गये हैं। पशुपालन योजना को बढ़ावा देने के लिये गाँव में चारागाह विकास के कार्य, स्थानीय परिस्थितियों और आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए सामुदायिक संरचना के कार्यों के तहत ग्राम पंचायत भवन, आँगनवाड़ी भवन, शासकीय भवनों के लिये अप्रोच रोड, शालाओं की बाउण्ड्री-वॉल का निर्माण, नाडेप टांका, वर्मी कम्पोस्ट पिट, गौ-शालाओं का निर्माण जैसे कार्य बरसात के मौसम में मनरेगा योजना के अंतर्गत अब कराये जा सकेंगे।