शुरू की गमले में पपीते की खेती
शुरू की गमले में पपीते की खेती

लॉकडाउन के चलते कई दुकानदारों की आर्थिक स्थितियां काफी खराब हो चली है। वे बेबस और लाचार होकर हाथ पर हाथ धरे बैठे हुए हैं। लेकिन इनमें भी कई ऐसे दुकानदार हैं, जिन्होंने लॉकडाउन में दुकानदारी बंद होने के बाद खेती-किसानी में हाथ आजमाया और आज वे खेती के नए-नए प्रयोग कर रहे हैं। इसी कड़ी में मीडिया में एक बढिय़ा खबर भी आई कि पौआखाली निवासी कम्प्यूटर संचालक  रंजीत कुमार गमले में ताइवानी पपीते की खेती में जुटे हैं। 125 गमले में पपीते का पौधा लगाकर शुरूआत कर चुके रंजीत बताते हैं कि अगर प्रयोग सफल रहा तो आगे वृहद पैमाने पर खेती किसानी ही करेंगे।

दरअसल, रंजीत कुमार खुद का व्यवसाय करते हैं। उनकी कम्प्यूटर की दुकान है, लेकिन लॉकडाउन के चलते ये दुकान फिलहाल बंद हो चुकी है। इसलिए उन्होंने खेती में हाथ आजमाया है।  मीडिया में उनकी खबर भी आई है। वे बताते हैं कि एक तो कम जगह में पपीते की खेती कर समय का सदुपयोग करने के साथ-साथ प्रकृति से जुड़ाव का भी अवसर मिला है। छोटे-छोटे गमले में दर्जनों लहलहाते पौधे अगले कुछ महीने में फल देने लगेंगे। इन पौधों में खाद या उर्वरक की जगह घर के बचे जैविक कचरे को डालकर रोज सिचाई भी करते हैं।

रंजीत कुमार को खेती का ये आईडिया दरअसल उनके एक परिचित से आया है। जहां उन्होंने ताइवानी पपीता देखा तो अपने घर भी बीज मंगवा लिया। और 125 गमलों में इसकी खेती कर वे फिलहाल प्रयोग कर रहे हैं। अगर सफल हुए तो और बड़े पैमाने पर इसकी खेती करेंगे। इसमें एक पौधे से करीब 50 से 60 किलोग्राम फल प्राप्त होने की आशा है। वे बताते हैं कि ताइवान स्थित एशियन फल-सब्जी अनुसंधान केंद्र में इस प्रजाति के विकसित होने के कारण इसे ताइवानी पपीता कहा जाता है।