हौसलों को अगर संसाधन मिल जाए तो सफलता का रास्ता सुगम हो जाता है। कोविड-19 के चलते लॉक-डाउन के कारण जब लोग अपनी आजीविका को लेकर चिंतित हैं, कोरिया जिले के किसान जयसिंह रोज एक से डेढ़ हजार रूपए कमा रहे हैं। इन दिनों वे साग-सब्जी की खेती कर रहे हैं और इसकी बिक्री से हर दिन उन्हें अच्छी आमदनी हो रही है। मनरेगा के अंतर्गत जयसिंह के खेत में खोदा गया कुआं विपरीत परिस्थितियों में उनकी मजबूत आजीविका का आधार बना है। कुएं की खुदाई के बाद से अब साल भर उनके खेतों में हरियाली रहती है। इस साल धान की बम्पर पैदावार के बाद अभी सब्जियों से उनके खेत लहलहा रहे हैं।
मनरेगा से निर्मित कुएं ने कोरिया जिले के मनेन्द्रगढ़ विकासखंड के पिपरिया के करीब छह एकड़ जोत के किसान जयसिंह की खेती की दशा और दिशा बदल दी है। वे बताते हैं कि पहले उनकी कृषि ट्यूब-वेल के भरोसे थी। लेकिन पर्याप्त पानी न होने के कारण बारिश के बाद बहुत दिक्कत आती थी। गर्मी के दिनों में फसल अकसर सूख जाती थी। परेशानियों के बीच उन्होंने पंचायत में मनरेगा के तहत खेत में कुआं खोदने के लिए आवेदन दिया। ग्राम पंचायत ने कुएं के लिए एक लाख 80 हजार रूपए मंजूर कर काम शुरू कर दिया। इस कुएं के साथ आदिवासी किसान जयसिंह की जिंदगी ने भी करवट ली।
देशव्यापी लॉक-डाउन में आर्थिक मंदी के इस दौर में जयसिंह छोटे किसानों के लिए नजीर बन गए हैं। मनरेगा के अंतर्गत आजीविका संवर्धन के लिए निर्मित कुएं ने आर्थिक समृद्धि का रास्ता खोला है। धान की अच्छी पैदावार के बाद उन्होंने पालक, लालभाजी और भिंडी लगाया। उन्हें सब्जियों की खेती से कम समय में ही 30 हजार रुपए का मुनाफा हुआ। अभी पिछले दो माह से वे औसतन 1200 रूपए की सब्जी रोज बेच रहे हैं। जयसिंह कहते हैं- लॉक-डाउन में भी मुझे कोई चिंता नहीं है। रोजी-रोटी के लिए अलग से कोई काम करने की जरूरत नहीं। मनरेगा से बने कुएं की बदौलत अब हर मौसम में मेरे खेतों में फसल और पर्याप्त आमदनी है।