आजकल लेमन ग्रास यानी नींबू घास की फसल किसान काफी संख्या में लेने लगे हैं। लेमन ग्रास एक औषधीय पौधा है। यह घास जैसा ही दिखता है, बस इसकी लंबाई आम घास से ज्यादा होती है। वहीं, इसकी महक नींबू जैसी होती है और इसका ज्यादातर उपयोग चाय में अदरक की तरह किया जाता है। इसमें औषधीय गुण जैसे एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-इन्फ्लेमेटरी व एंटी-फंगल आदि होते हैं, जो कई तरह की बीमारियों और संक्रमण से बचाते हैं। इसके अलावा दवा के रूप में लेमन ग्रास तेल का भी उपयोग किया जाता है। अक्सर लेमन ग्रास तेल का उपयोग सौंदर्य उत्पाद और पेय पदार्थों में भी किया जाता है। तो चलिए आज हम बात करते हैं लेमन ग्रास की खेती के बारे में…
जलवायु
लेमन ग्रास की अच्छी खेती के लिए गर्म और आद्र्र जलवायु काफी अच्छी मानी गई है। क्योंकि ज्यादा गर्म तापमान और अच्छी धूप से पौधों में तेल की मात्रा बढ़ती है। इसलिए इसे कम वर्षा वाले क्षेत्रों में भी लगाया जा सकता है।
मिट्टी
वैसे तो सभी प्रकार की मिट्टी में इसकी खेती की जा सकती है, लेकिन यदि दोमट उपजाऊ मिट्टी हो तो सबसे बेहतर है।
पौधरोपण का तरीका
प्राय: लेमन ग्राम के बीजों को पहले नर्सरी बनाकर बोया जाता है। इसके बाद जब पौधे कुछ बड़े होते हैं तो इन्हें खेतों में रोपा पद्धति से लगाया जाता है। वैसे नर्सरी में लगाए गए बीज 50 से 60 दिनों में ही इतने बड़े हो जाते हैं कि उन्हें खेतों में लगाया जा सकता है। एक हेक्टेयर खेत के लिए 4-5 किलो बीज पर्याप्त होता है।
पौधरोपण का समय एवं उर्वरक
वैसे तो लेमन ग्रास की फसल के लिए सिंचाई के साथ होने पर फरवरी महीने में ही रोपण किया जा सकता है। लेकिन यदि आप बारिश के मौसम में इसकी रोपाई करते हैं, तो सबसे अच्छा है। वहीं खेत की तैयारी के समय अंतिम जुताई के साथ कम्पोस्ट या गोबर की सड़ी खाद अच्छी तरह मिला दें।
किस्में
लेमन ग्रास की वैसे तो कई किस्में बाजार में उपलब्ध हैं, लेकिन इसकी उन्नत किस्में ओडी-19, ओडी-40, प्रगति, आर.आर.एल-16, प्रमाण तथा सुगंधी है।
खरपतवार से सुरक्षा
हर फसल की भांति इसमें भी खरपतवार की संभावना बनी रहती है। खरपतवार हर फसल के साथ उग आते हैं और मिट्टी से भरपूर पोषक तत्वों का उपयोग कर पौधों के विकास को प्रभावित कर सकते हैं। इसलिए समय-समय पर खरपतवार की निंदाई-गुड़ाई करते रहना चाहिए। पहली निराई-गुड़ाई रोपाई के एक माह बाद करें, 2-3 बार निराई-गुड़ाई के बाद खरपतवार नहीं रहता।
सिंचाई
वैसे प्राय: देखा गया है कि इसमें सिंचाई की आवश्यकता ज्यादा नहीं होती है, लेकिन यदि भूमि में नमी ना हो तो सिंचाई करते रहे। खासकर गर्मी के मौसम में मिट्टी में नमी आवश्यक होती है, इसलिए हफ्ते में एक या दो बार सिंचाई अवश्य करें। बारिश के मौसम में सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती है।
कटाई व बीज संग्रहण
वैसे लेमन ग्रास की कटाई एक साल में 4 से 6 बार की जा सकती है। लेकिन ये कटाई फसल लगने के 5 वर्ष तक कम से कम 2 या ढाई महीने के अंतराल में करें तो ज्यादा अच्छा होगा। वहीं बीज संग्रहण के लिए जनवरी-फरवरी का महीना उपयुक्त है, क्योंकि इसमें नवंबर या दिसंबर में फूल लगते हैं। और एक पौधे से आपको अधिकतम 200 ग्राम बीज मिल सकता है।
कीट प्रकोप से सुरक्षा
लेमन ग्रास में कई कीटों के संक्रमण का खतरा होता है। कई बार इसके तनों में कीट लग जाते हैं, जिसके चलते पत्तियां सूख जाती है। वहीं दीमक से बचाव के लिए नीम की खल्ली से उपचारित कर लगाना चाहिए। यदि लेमन ग्रास में श्वेत मक्खी दिख रही हो तो मोनोक्रोटोफ़ॉस 0.05 प्रतिशत का छिड़काव कर सकते हैं। इसके अलावा लेमन ग्रास में चूहों का प्रकोप भी देखा गया है। इसलिए इससे बचाव के लिए जिंक फास्फाईड या फिर बेरियम क्लोराईड का प्रयोग करें।
लेमन ग्रास की खेती और उसके लाभ…
