लेमन ग्रास एक औषधीय पौधा है। यह घास जैसा ही दिखता है, बस इसकी लंबाई आम घास से ज्यादा होती है। इसकी महक नींबू जैसी होती है । इसमें औषधीय गुण जैसे एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-इन्फ्लेमेटरी व एंटी-फंगल आदि होते हैं, जो कई तरह की बीमारियों और संक्रमण से बचाते हैं। इसके अलावा दवा के रूप में लेमन ग्रास तेल का भी उपयोग किया जाता है। अक्सर लेमन ग्रास तेल का उपयोग सौंदर्य उत्पाद और पेय पदार्थों में भी किया जाता है।
लेमन ग्रास की अच्छी खेती के लिए गर्म और आद्र्र जलवायु काफी अच्छी मानी गई है। क्योंकि ज्यादा गर्म तापमान और अच्छी धूप से पौधों में तेल की मात्रा बढ़ती है। इसलिए इसे कम वर्षा वाले क्षेत्रों में भी लगाया जा सकता है। दोमट उपजाऊ मिट्टी इसकी खेती के लिए सबसे बेहतर है। लेमन ग्रास की फसल के लिए सिंचाई के साथ होने पर फरवरी महीने में ही रोपण किया जा सकता है। लेकिन यदि आप बारिश के मौसम में इसकी रोपाई करते हैं, तो सबसे अच्छा है। लेमन ग्रास की वैसे तो कई किस्में बाजार में उपलब्ध हैं, लेकिन इसकी उन्नत किस्में ओडी-19, ओडी-40, प्रगति, आर.आर.एल-16, प्रमाण तथा सुगंधी है। इसमें सिंचाई की आवश्यकता ज्यादा नहीं होती है, लेकिन यदि भूमि में नमी ना हो तो सिंचाई करते रहे। खासकर गर्मी के मौसम में मिट्टी में नमी आवश्यक होती है, इसलिए हफ्ते में एक या दो बार सिंचाई अवश्य करें। बारिश के मौसम में सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती है। लेमन ग्रास की कटाई एक साल में 4 से 6 बार की जा सकती है। लेकिन ये कटाई फसल लगने के 5 वर्ष तक कम से कम 2 या ढाई महीने के अंतराल में करें तो ज्यादा अच्छा होगा। वहीं बीज संग्रहण के लिए जनवरी-फरवरी का महीना उपयुक्त है, क्योंकि इसमें नवंबर या दिसंबर में फूल लगते हैं। और एक पौधे से आपको अधिकतम 200 ग्राम बीज मिल सकता है।