सब्जियों की बात हो और मुनगा याद ना आए, भला ऐसा कैसे हो सकता है। क्योंकि मुनगा का स्वाद हर किसी को खासा पसंद आता है। इसके साथ ही मुनगा दर्जनों रोगों में दवाई का भी काम करता है और इसमें मल्टीविटामिन्स, एंटी आक्सीडेंट गुण, दर्द निवारक और एमिनो एसिड मिलते हैं। सब्जी के साथ ही मुनगा का पूरा पेड़ ही अलग-अलग प्रयोग में आता है। इसकी पत्तियों की भी सब्जी बनाई जाती है तो पत्ती पशुओं के चारे के रूप में भी इस्तेमाल होती। वहीं कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि पांच हजार वर्ष पूर्व आयुर्वेद ने सहजन की जिन खूबियों को पहचाना था, आज के वैज्ञानिक युग में वे साबित हो चुकी हैं।
तो चलिए आज जानते हैं मुनगे की खेती के बारे में–
मुनगा का पेड़ किसी भी भूमि पर पनप सकता है। इसकी खेती में पानी की बहुत जरूरत नहीं होती और रखरखाव भी कम करना पड़ता है। इसके फूल, फली और टहनियों को अनेक उपयोग में लिया जा सकता है। सहजन के बीज से तेल निकाला जाता है और छाल पत्ती, गोंद, जड़ आदि से दवाएं तैयार की जाती हैं। वैसे तो इसकी खेती आसान है, फिर यदि आप बड़े पैमाने पर नहीं करना चाहते तो छोटे पैमाने पर भी कर सकते हैं और अन्य फसलों के साथ इसे लगा सकते हैं। यह गर्म इलाकों में आसानी से फल-फूल जाता है।
इसको ज्यादा पानी की भी जरूरत नहीं होती। लेकिन सर्द इलाकों में इसकी खेती बहुत लाभदायक नहीं होती है। यह सूखी बलुई या चिकनी बलुई मिट्टी में अच्छी तरह बढ़ता है। पहले साल के बाद साल में दो बार उत्पादन होता है और आमतौर पर एक पेड़ 10 साल तक अच्छा उत्पादन करता है। मुनगा के पेड़ मोटे तौर पर 12 महीने में उत्पादन देते हैं। पेड़ अगर अच्छी तरह से बढ़े हैं तो 8 महीने में ही तैयार हो जाते हैं।