अजवाइन के दाने खनिज तत्वों से भरपूर होते हैं। वैसे अजवाइन का पौधा झाड़ी के आकार का होता है, यानी एक छोटा सा पौधा होता है। भारत में इसके मुख्य उत्पादक राज्य महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल, पंजाब, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, बिहार, आंध्र प्रदेश और राजस्थान हैं।
अजवाइन की खेती रबी मौसम में ली जाती है। इसे ज्यादा बारिश की जरूरत नहीं होती है। ठंड के मौसम में इसकी फसल अच्छी होती है। इसके पौधे इतने मजबूत होते हैं, कि ये पाला भी सहन कर लेते हैं। सर्दियों के मौसम में यह न्यूनतम 10 डिग्री के आस-पास तापमान पर भी अच्छे से विकास कर लेते हैं। अजवाइन की खेती के लिए अच्छी पानी निकासी वाली बलुई दोमट मिट्टी की आवश्यकता होती है। अजवाइन की फसल में मौसम परिवर्तन के चलते माहू रोग का खासा प्रभाव देखा जाता है। इसलिए इसकी लिए आप डाइमिथोएट, मैलाथियान या मोनोक्रोटोफास का छिड़काव करें। इसके अलावा अजवाइन को झुलसा रोग से बचाने मैंकोजेब का प्रयोग करें।
किस्में
अजवाइन की वैसे तो कई किस्में बाजार में उपलब्ध हैं। लेकिन मिट्टी और उत्पादन की दृष्टि से मुख्यत: लाभ सलेक्शन-1, लाभ सलेक्शन 2, एए-1, एए-2, आरए 1-80, गुजरात अजवाइन-1 और आर ए 19-80 हैं, जो कम से कम 130 से 145 दिनों में उत्पादन करने लगते हैं और किसानों को अच्छी आमदनी देते हैं।
सिंचाई
जैसा कि अजवाइन की रोपाई सुखी या थोड़ी नम भूमि में की जाती है, अत: रोपाई के बाद तुरंत ही सिंचाई करें तो ज्यादा बेहतर होगा। लेकिन सिंचाई धीरे-धीरे ही करें क्योंकि पानी की बौछार यदि ज्यादा होगी तो बीजों के बह जाएंगे।
उर्वरक
अजवाइन की खेती के समय खेत की तैयारी के दौराना अच्छी मात्रा में गोबर की खाद डालना चाहिए। इसके अलावा रासायनिक खाद के रूप में 80 किलो एनपीके की मात्रा को खेत की आखिरी जुताई के वक्त भी डाल सकते हैं।