आजकल किसान बड़ी संख्या में गन्ना की फसल लेने लगे हैं। इसके पीछे गन्ने से किसानों को अच्छी-खासी आमदनी होती है, लेकिन कई बार फसल खराब होने के चलते उन्हें नुकसान भी उठाना पड़ता है। इसके साथ-साथ गन्ने चूंकि मीठा फल है, इसलिए उसे जानवरों के साथ-साथ कीट-पतंगों से बचाना भी किसानों के लिए किसी चुनौती से कम नहीं होता। खासकर, तब जब फसल तैयार हो रही हो और रोग का डर हो।
इसी कड़ी में खबर आ रही है कि पश्चिमी यूपी में गन्ना किसानों ने खेतों में अगेती प्रजाति में टाप बोरर के साथ ही पोका बोइंग रोग भी गन्ने की फसल के लिए चिंत का विषय बन रहा है। किसान इसे लेकर काफी परेशान है। इस स्थिति में कृषि विशेषज्ञों ने इससे बचाव के लिए किसानों को खास सावधानी बरतने की सलाह दी है।
गन्ने की अगेती प्रजाति में टाप बोरर के साथ ही पोका बोइंग रोग लगने के चलते किसान परेशान हैं। एग्री फोर्ट टेकनॉलाजी के कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक, पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मेरठ, मुजफ्फरनगर, शामली, बड़ौत को गन्ना बेल्ट माना जाता है। यहां के किसानों ने गन्ने की अगेती प्रजाति 0238 की बुआई की है। उन्होंने बताया कि यह रोग होने पर गन्ने के ऊपरी चोटी पर पत्ती में छेद दिखने लगते हैं पत्तियां पीले रंग की हो जाती हैं। यह रोग देखने में टाप बोरर की भांति दिखाई देता है। लेकिन यह फफूंदी से फैलने वाली बीमारी है। जिससे ऊपर की बनने वाली तीन या चार पोरियों में गलन हो जाती है। गन्न सूखने लगता है।
इसलिए इससे बचने किसानों को उपाय करने की सलाह दी जा रही है। खासकर फसल को किसी प्रकार का नुकसान ना हो इस रोग से फसल सुरक्षित रहे। लेकिन फिर भी किसानों की चिंता जायज है, क्योंकि वे लगातार फसलों की रखवानी करने के साथ-साथ अब पोका बोइंग से फसलों की बचाने की चिंता में लगे हैं।