मेढ़ों पर खेती के फायदे
मेढ़ों पर खेती के फायदे

समय के साथ कृषि पद्धतियों में निरंतर बदलाव हुए हैं, लोगों ने कृषि में भी नवाचार को प्रमुखता से अपनाया है। कृषि कार्यों के लिए सर्वाधिक महत्वपूर्ण बात है भूमि की उर्वरता, पानी की उपलब्धता तथा नमी, फसल चक्र तथा खरपतवारों को रोकने हेतु उचित प्रबंधन। वर्तमान में जिले में कृषि से जुड़े ऐसे ही कुछ नवाचार देखने को मिल रहे हैं जिसमें किसान अतिरिक्त आय के लिए तालाब या डबरी के मेंढ़ों पर सब्जी की खेती कर रहे हैं। कृषि विभाग के प्रयासों से जिले में वर्तमान खरीफ वर्ष में तालाब या डबरी के मेंढ़ों में खेती करने हेतु कृषकों को प्रेरित किया गया है। इस खेती में विशेष बात यह है कि जहां एक ओर बारिश के मौसम में निरंतर वर्षा होने से भूमि में नमी ज्यादा होने के कारण सब्जी की खेती करना चुनौतीपूर्ण हो जाता है, वहीं दूसरी ओर डबरी या तालाब के मेढ़ों पर वर्षा जल न ठहरने से सब्जी की खेती आसानी से की जा सकती है। मेंढ़ों में खेती करने से नमी का उचित प्रबंधन संभव हो पाता है जिससे पैदावार बढ़ती है। हरित डबरी के अवधारणा को साकार करते हुए कृषि विभाग ने किसानों तक पहुंचा कर अमल में लाया है। इसीलिए जिले में किसानों के लिए हरित डबरी एक वरदान साबित हो रही है, क्योंकि इस पद्धति से तालाब में मछली पालन के साथ-साथ मेंढ़ों में मौसम के विपरीत परिस्थति में भी लौकी, बरबट्टी, करेला जैसे सब्जियां उगा कर अतिरिक्त आय प्राप्त की जा रही है। जिले में आत्मा योजना अंतर्गत कुल 100 कृषकों को हरित डबरी योजना से जोड़ा गया जिसमें किसानों को मछली बीज, सब्जी बीज, केन्ट तार तथा धागा आदि प्रदाय कर मैदानी अमलों द्वारा विशेष तकनीकी मार्गदर्शन से तालाब या डबरी को हरित डबरी बनवाया गया है। हरित डबरी की सफलता की बात करें तो डबरी के मेंढ़ों पर लगी सब्जी ऐसे समय में निकलती है जब बाजार में इनकी अच्छी कीमत होती है, जिस कारण किसानों को अच्छी आमदनी प्राप्त हो रही है। अगर एक डबरी की बात करें तो औसतन 12 से 13 हजार रूपये तक की सब्जियों का उत्पादन हो रहा है।

विकासखण्ड राजपुर के गौठान ग्राम परसागुड़ी के रहने वाले श्री जवाहरलाल शर्मा ऐसे ही एक किसान हैं जिन्होंने अपने खेत में मनरेगा के तहत डबरी का निर्माण करवाया तथा इसके मेंढ़ों में कृषि विभाग के सहयोग से करेला, लौकी, खीरा एवं बैगन की खेती की। चूंकि किसान श्री जवाहरलाल शर्मा घर में ही गौ-पालन कर केंचुआ खाद उत्पादन करते हैं इसलिए उन्होंने डबरी के मेढ़ों पर केंचुआ खाद से सब्जियों की जैविक खेती की। परिणाम स्वरूप कम लागत में ताजी एवं पोषक तत्वों से भरपूर सब्जियों का उत्पादन हुआ जिससे बाजार में सब्जियों की अच्छी कीमत मिली। मेंढ़ मे उगी सब्जियों को किसान श्री जवाहरलाल ने लगभग 16500 रूपये में बेचा। कृषक श्री शर्मा प्रसन्नता से बताते हैं कि उन्होंने कभी सोचा भी नहीं था कि डबरी के मेढ़ों पर सब्जी उत्पादन कर इतनी आय हो सकती है। उन्होंने इसका पूरा श्रेय कलेक्टर एवं कृषि विभाग को देते हुए कहा कि प्रशासन ने किसानों की आय बढ़ाने के लिए कृषि में नवाचार को प्राथमिकता दी है। परम्परागत कृषि से अलग थोड़े व्यवस्थित एवं तकनीक के प्रयोग से किसानों के आय में निश्चित रूप से वृद्धि हो सकती है, कृषक जवाहरलाल शर्मा इसके इसके सशक्त उदाहरण हैं तथा कृषक उनसे प्रेरित भी हो रहे हैं।