Soil Health Card
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मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना | Soil Health Card Yojana in hindi

मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना की मुख्य बातें-

क्र.म. स्कीम बिंदु मुख्य बातें
1स्कीम का नाममृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना
2स्कीम क्षेत्रमिट्टी परिक्षण
3स्कीम लोंच तारीख17 फरवरी 2015
4स्कीम लोंचप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा
5बजट568 करोड़

मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना, साल फरवरी 2015 में भारत सरकार द्वारा लाई गई स्कीम है. इस स्कीम के तहत सरकार की किसानों के लिए एक सोइल कार्ड जारी करने की योजना है, जिससे किसान को मिट्टी की गुणवत्ता का अध्ययन करके एक अच्छी फ़सल प्राप्त करने में सहायता मिल सके. फ़सल के लिए सबसे ज्यादा जरुरी होती है मिट्टी, यदि मिट्टी की क्वालिटी ही सही नहीं होगी तो फ़सल भी सही से नहीं होगी. इसलिए भारत सरकार ने किसानों के लिये यह कार्ड जारी किया है. इस स्कीम के अनुसार सरकार का 3 साल के अंदर ही पूरे भारत में लगभग 14 करोड़ किसानों को यह कार्ड जारी करने का उद्देश्य है. इस कार्ड में एक रिपोर्ट छपेगी, जोकि किसानों को अपने खेत या जमीन के लिए तीन साल में एक बार दी जाएगी.

मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना-
    सोइल हेल्थ कार्ड स्कीम किसानों के लिए बहुत ही फायदेमंद है. भारत में ऐसे बहुत से अशिक्षित किसान है, जो यह नहीं जानते कि अधिकतम उपज प्राप्त करने के लिए किस तरह की फ़सलों को विकसित करना चाहिए. मूल रूप से, वे मिट्टी के गुण और उसके प्रकार नहीं जानते है. वे अपने अनुभव से फसलों का बढ़ना और फसलों का असफल होना जान सकते है किन्तु वे यह नहीं जानते कि मिट्टी की हालत को कैसे सुधारा जा सकता है. इसके लिए भारत सरकार ने एक सोइल हेल्थ कार्ड स्कीम जारी की है –
    इस स्कीम के तहत किसानों को एक सोइल हेल्थ कार्ड दिया जायेगा, जिसमें किसानों के जमीन की मिट्टी किस प्रकार की है इसकी जानकारी दी जाएगी. उन्हें एक सूची दी जाएगी कि उनकी जमीन में किस प्रकार की फ़सल लग सकती है जिससे उन्हें अधिकतम लाभ हो, एवं उनकी जमीन की मिट्टी में क्या सुधार करने की आवश्यकता है यह भी बताया जायेगा. सोइल हेल्थ कार्ड एक रिपोर्ट कार्ड है जोकि मिट्टी के गुण के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करेगा. जैसे मिट्टी के प्रकार के बारे में, पोषक तत्व सामग्री, आवश्यक खाद, फ़सल के लिए स्युटेबल तापमान और वर्षा की हालत आदि. इस स्कीम का मुख्य उद्देश्य खाद के उपयोग से मिट्टी के आधार और संतुलन को बढ़ावा देना है जिससे किसानों को कम कीमत में अधिक पैदावर मिल सके.

मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना की विशेषता
                  •    भारत सरकार का इस स्कीम के तहत कम से कम 14 करोड़ किसानों को इसमें शामिल करना है.
                  •    देश के सभी भाग में यह स्कीम शामिल की जाएगी.
                  •    सोइल कार्ड के रूप में, किसानों को एक रिपोर्ट दी जाएगी, एवं इस रिपोर्ट में उनकी जमीन की मिट्टी की पूरी जानकारी होगी.
                  •    एक खेत के लिए हर 3 साल में एक सोइल कार्ड दिया जायेगा.

मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना क्यों जरूरी है?
    कुछ राज्यों में किसानों को उनकी मिट्टी के बारे में रिपोर्ट पहले से ही दी जा रही थी. कुछ किसान शिक्षित थे जोकि अपनी मिट्टी को बेहतर समझ सकते थे. किन्तु पूरे भारत में यह करने के लिए इस स्कीम को लाना जरुरी था. कुछ किसान जो शिक्षित नहीं हैं उन्हें यह पता नहीं होता कि इसके लिए क्या दृष्टिकोण होना चाहिए और क्या करना चाहिए. इस कारण सरकार ने सोइल हेल्थ कार्ड स्कीम लोंच की. अब, किसान मिट्टी की प्रकृति की जानकारी के साथ यह जान जायेगा कि उसे कितनी खाद की जरुरत है. यदि उन्हें कुछ समझ नहीं आ रहा हो या वे सुधारात्मक सुझाव को समझने में असमर्थ हों तो वे विशेषज्ञों की सलाह ले सकते हैं.

मृदा स्वास्थ्य कार्ड स्कीम के फ़ायदे
                  •    यह स्कीम के तहत किसानों की मिट्टी की पूरी तरह से जाँच की जाएगी और उन्हें इसकी रिपोर्ट दी जाएगी. जिससे वे यह निश्चय कर सकेंगे कि किस फ़सल को विकसित करना चाहिए और किसे छोड़ देना चाहिए.
                  •    अथॉरिटी नियमित आधार पर मिट्टी की जाँच करेगी. जैसे लवणीयता क्षारीयता और अम्लीयता की पूरी जाँच होगी. हर 3 साल में किसानों को इसकी एक रिपोर्ट दी जाएगी. यदि कुछ फैक्टर्स के दौरान मिट्टी में बदलाव होते हैं तो किसान को चिंता करने की कोई आवश्यकता नहीं है. हमेशा उनकी मिट्टी के बारे में डेटा को अपडेट किया जायेगा.
                  •    सरकार का यह काम बिना रुके मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार करने के लिए उपायों की सूची बनाता रहेगा. यहाँ तक कि विशेषज्ञ किसानों को सुधारात्मक उपाय देने में सहायता भी करेंगे.
                  •    नियमित रूप से मिट्टी की जाँच होने से किसानों को लम्बे समय तक मिट्टी को स्वस्थ रखने का रिकॉर्ड पाने में मदद मिलेगी. इसके अनुसार वे इसका अध्ययन कर अलग मिट्टी के मैनेजमेंट के तरीकों के परिणामों का मुल्यांकन कर सकेंगे.
                  •    यह कार्ड बहुत ही मददगार और प्रभावशाली बन सकता है जब समय की अवधि में एक ही व्यक्ति द्वारा यह नियमित रूप से भरा जाये.
                  •    यह सोइल कार्ड किसानों को उनकी मिट्टी में होने वाली कमी भी बतायेगा, जिससे वे यह समझ सकेंगे कि किस फ़सल का निवेश करना चाहिए, और वे यह भी बतायेंगे कि मिट्टी को किस खाद की जरुरत है जिससे अंत में फ़सल की उपज की वृद्धि हो सके.
                  •    इस स्कीम का मुख्य उद्देश्य पर्टिकुलर मिट्टी के प्रकार को खोजना है और विशेषज्ञों द्वारा इसमं  जो सुधार की आवश्यकता है उसे उपलब्ध कराना है. साथ ही उसमे यदि कुछ कमी है तो उसे भी पूरा करना है.
मृदा स्वास्थ्य कार्ड स्कीम कैसे कार्य करती है? (Soil health card scheme login) –
                 •    सबसे पहले औथौरिटी विभिन्न मिट्टी के सैंपल को इकठ्ठा करेगी.
                 •    इसके बाद वे इसे लैब में परिक्षण के लिए भेजेगी. और लैब के अंदर विशेषज्ञ इसकी जाँच करेंगे.
                 •    जाँच के बाद, विशेषज्ञ जाँच के परिणाम का विशलेषण(Analyze) करेंगे.
                 •    इसके बाद वे विभिन्न मिट्टी के सैंपल की ताकत और कमजोरी की सूची बनायेंगे.
                 •    यदि मिट्टी में कुछ कमी है तो उसके सुधार के लिए सुझाव देंगे और उसकी एक सूची बनायेंगे.
                 •    इसके बाद सरकार किसानों के लिए सोइल कार्ड में फोर्मेटेड तरीके से पूरी जानकारी डाल देगी. यह जानकारी ऐसे तरीके से दी जाएगी जिससे किसान इसे अच्छी तरह एवं सरलता से समझ सकें.

प्रदर्शन
    सन 2015 – 2016 साल में 84 लाख सोइल हेल्थ कार्ड जारी करने के लक्ष्य के मुकाबलें, जुलाई 2015 तक केवल 34 लाख सोइल हेल्थ कार्ड जारी किये गए थे. अरुणाचल प्रदेश, गोवा, गुजरात, हरयाणा, केरल, मिज़ोरम, सिक्किम, तमिलनाडू, उत्तराखंड और पश्चिम बंगाल आदि राज्यों के बीच में, उस समय तक एक भी सिंगल सोइल हेल्थ कार्ड जारी नहीं किया गया था. इसमें फरवरी 2016 तक 1.12 करोड़ तक की वृद्धी होनी थी. फरवरी 2016 तक 104 लाख मिट्टी के सैंपल के लक्ष्य के मुकाबले राज्यों में 81 लाख मिट्टी के सैंपल की सूचना दी गई और 52 लाख का परिक्षण किया गया.

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Website- http://www.soilhealth.dac.gov.in/
Related Resources
Soil Health Card Format–
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