7 गोठानों में मुर्गीपालन कर तीन महीने में ही स्व सहायता समूह की महिलाओं ने 8 लाख 40 हजार रुपये के अंडे बेचकर आय अर्जित की है। आधुनिक पद्धति से समूह की महिलाओं द्वारा मुर्गीपालन किया जा रहा है। पशु चिकित्सा विभाग द्वारा महिलाओं को थ्री टियर केज पद्धति से मुर्गीपालन का प्रशिक्षण दिया गया है और प्रत्येक गोठान में 250 नग मुर्गी भी प्रदाय की गई है। अम्बिकापुर जनपद में आदर्श गोठान सोहगा व मेण्ड्रा कला, उदयपुर में सरगवां, लखनपुर में पुहपुटरा, बतौली में मंगारी, मैनपाट में उडुमकेला और लुंड्रा में बटवाही गोठान में महिलाओं द्वारा मुर्गीपालन का कार्य किया जा रहा है। अक्टूबर से दिसम्बर तक तीन महीने में एक गोठान में 20 हजार अंडे का उत्पादन हुआ इस हिसाब से 7 गोठानों में तीन महीने में 1 लाख 40 हजार अण्डों का उत्पादन हुआ। प्रति अंडे 6 रुपये के दर से आंगनबाड़ी केंद्रों को बेचा गया जिससे 8 लाख 80 हजार रुपये का आय अर्जित हुई। इस प्रकार प्रत्येक गोठान में हर माह 20 हजार रुपये के अंडे बेचे गए।
पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ सी.के. मिश्रा ने बताया कि मुर्गीपालन हेतु भवन का निर्माण मनरेगा से किया गया है जबकि मुर्गियों के लिए आहार एवं दवा की व्यवस्था डीएमएफ से किया गया है। तकनीकी रूप से मुर्गीपालन हेतु प्रशिक्षण और देख-रेख का कार्य पशुपालन विभाग द्वारा किया जा रहा है।
ऐसे करें मुर्गीपालन…
1. छोटे रूप में शुरू करके व्यवसाय को धीरे-धीरे बढ़ाएं।
2. हमेशा अधिक अंडा देने वाली उत्तम नस्ल की मुर्गियों का ही चुनाव करें. सरकारी मुर्गी फार्म से आप जब भी अंडा देने वाली मुर्गियाँ खरीदें तो यह अवश्य देख लें कि उन्हें रानिक खेत और चेचक का टीका लगा चुका हो.
3. 8-10 मुर्गियों के लिए एक ही मुर्गा रखना पर्याप्त है और यदि निर्जीव अंडा पड़ा करना है तो मुर्गा रखने की जरूरत नहीं है.
4. 5. मुर्गी का घर ऊँची जगह पर होना चाहिए।
5. बिजली को पालने में विशेष सावधानी की आवश्यकता होती है।
6. बिजली एवं स्वच्छ पानी का प्रबंध मुर्गी फार्म में अवश्य होना चाहिए.
8. दड़बे में 55 से 75 डिग्री फारेनहाइट का बीच तापक्रम रहने से मुर्गियों को पूरा आराम मिलता है.
9. मुर्गियों को डीप लिटर पद्धति में रखने से समय तथा जगह की बचत होती है।
10. मूर्गियों को हमेशा संतुलित आहार दें।
11. अंडा एवं मुर्गा बेचने के लिए शहर के नजदीक यह व्यवसाय शुरू करना चाहिए जिससे इनकी खपत आसानी से हो सके।