फसलों में उत्पादन बढ़ाने मिट्टी परीक्षण जरूरी होता है। बिना मिट्टी परीक्षण के किसान भाई ये जान नहीं सकते है, कि उनकी मिट्टी में किस चीज की कमी है। और जब फसल आती है, तो उत्पादन उनकी अपेक्षा अनुरूप नहीं हो पाता, इससे उन्हें निराशा होता है, लेकिन अब मिट्टी परीक्षण कर किसान अपनी उत्पादकता बढ़ाने के साथ-साथ मिट्टी की उर्वरकता भी बनाए रख सकता है।
कुछ ऐसा ही कहानी है- राजगढ़ जिले के जीरापुर विकास खण्ड के ग्राम सुन्दरपुरा निवासी मांगीलाल कवंरलाल की। वे बताते है कि लगभग 02 हेक्टेयर जमीन जो उत्पादन की दृष्टि से लगभग बहुत ही कमजोर हो गई थी। कुल उत्पादन का 50-60 प्रतिशत तक ही मिल पाता था। लेकिन वर्ष 2015-16 से कृषि विभाग में मृदा स्वास्थ कार्ड योजना अंतर्गत ग्राम सुन्दरपुरा को वर्ष 2017-18 में आदर्श ग्राम में चुनकर पूरे गांव की मिट्टी की जांच करवाई। जिसमें मैंने भी अपना 02 हेक्टेयर क्षेत्र का नमूना दिया। जिसकी जांच उपरोक्त सूक्ष्म तत्व जिंक व सल्फर की कमी बताई गई। तत्पश्चात कृषि अधिकारियों की सलाह पर मैंने नाडेप टांका एवं जैविक खाद में गोबर खाद का प्रयोग किया। जिससे खेत की दशा में तो बदलाव हुआ ही जहां मैं वर्ष 2016-17 एवं 2017-18 में रबी में 38-40 क्विंटल प्रतिहेक्टेयर गेहूं उत्पादन ले पाता था। वही वर्ष 2019-20 में लगभग 65-70 क्विंटल प्रतिहेक्टेयर का आष्चर्य जनक उत्पादन हुआ। जिससे गेहूं उत्पादन की पूरी स्थिति बदलकर गई।
वर्तमान वर्ष 2019-20 में मिले गेहूं के बम्पर उत्पादन से प्रोत्साहित होकर में सभी किसानों को सलाह देना चाहूंगा कि सभी कृषक बंधु अपने अपने खेतों की मिट्टी की जांच करवाकर ही रासयनिक या जैविक खादों का संतुलित मात्रा में ही उपयोग करें जिससे भूमि की दशा सुधार सके और अनावश्यक खर्चो को रोका जा सकें।