किसानों द्वारा किये जा रहे नवाचार तथा जज्बे के फलस्वरूप यहां के सैकड़ों किसान अपनी और देश की तरक्की में निरंतर रूप से योगदान दे रहें हैं। इसका प्रत्यक्ष उदाहरण देखने को मिला इंदौर संभाग के धार जिले में स्थित चालनी गांव में जहां से हजारों टन टमाटर दिल्ली और देश की अन्य सब्जी मंडियों में पहुंचाया जा रहा है।

आज से कुछ वर्ष पूर्व चालनी गांव के किसान सिंचाई के लिये पानी के साथ-साथ संसाधनों की कमी से जूझ रहे थे। लेकिन परिस्थितियों के आगे हर मानने की जगह क्षेत्र के किसनों ने अपने दृढ़ ईच्छा शक्ति से एक नये बदलाव की नींव रखी। गांव के किसान बताते है कि परंपरागत फसलों पर निर्भर होने के कारण उन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था। इसी दौरान चालनी गांव के किसान श्री मोहन राठौर द्वारा टमाटर की खेती शुरू की गयी। जिसके फलस्वरूप हर वर्ष क्षेत्र के करीब दस हजार टन टमाटर दिल्ली की मंडी में भेजा जाता है। किसान श्री राठौर बताते है कि उन्होंने मल्चिंग बेड पद्धति से टमाटर की खेती शुरू की थी। इस तकनीक से खेती में कम पानी का उपयोग होता है तथा ड्रप पद्धति से सिंचाई की जाती है। खेत को पतली पॉलीथिन से ढांक दिया जाता है, जिससे इसके तापमान को नियंत्रित कर वाष्मीकरण के कारण जमीन में नमी बनी रहती है। श्री राठौर ने अपने खेत के पास एक छोटा सा तालाब भी बना रखा है। जहां वे सिंचाई हेतु पानी का संरक्षण करते है। श्री राठौर की तरह चालनी गांव के तथा आस-पास के दर्जनों गांव के किसान भी टमाटर की खेती कर तरक्की की राह पर अग्रसर है।