किसान भाईयों खरीफ मौसम की फसल बुआई का समय नजदीक आ रहा है। चूंकि जिले में खरीफ मौसम में सोयाबीन फसल की बुआई मुख्य रुप से की जाती है अत: भारतीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान, इंदौर की अनुशंसा के आधार पर कृषि विभाग द्वारा निम्नानुसार सलाह दी जाती है –

बीज व्यवस्था
स्वयं के पास उपलब्ध बीज का अंकुरण परिक्षण कर लेवें कम से कम 70 प्रतिशत अंकुरण क्षमता वाला बीज ही बुआई के लिए रखें यदि आप बाहर कहीं ओर से उन्नत बीज लाते हैं तो विश्वसनीय/विश्वास पात्र संस्था/संस्थान से बीज खरीदें साथ हीं पक्का बिल अवश्य लेवें एवं स्वयं भी घर पर अंकुरण परीक्षण करें। किसान भाई अपनी जोत के अनुसार कम से कम 2 से 3 किस्मों की बुआई करें। जिले में अनुशंसित किस्में जेएस 95.60, जेएस 93.05, नवीन किस्में जेएस 20.34, जेएस 20.29 एवं आरवीएस 2001.04 है।

बीज उपचार
बीज की बुआई से पूर्व बीजोपचार जरुर करें। बीजोपचार हमेशा एफआईआर क्रम मे (फजिंसाईड इसेक्टिसाइड राइजोबियम)  करना चाहिये। इस हेतु जैविक फफूंदनाशक ट्रोईकोडर्मा वीरडी 5 ग्रा./किग्रा. बीज अथवा फफूंदनाशक (थायरम+कार्बोक्सीन (3 ग्रा./कि.ग्रा. बीज) या थायरम+कार्बेन्डाजिम (2:1) 3 ग्रा./कि.ग्रा. अथवा पेनफ्लूफेन+ट्रायफ्लोक्सीस्ट्रोबीन (1 मि.ली./कि.ग्रा.) के मान से उपचारित करें।
गत वर्ष जहां पर पीला मोजेक की समस्या रही है वहां पीला मोजेक बिमारी की रोकथाम हेतु अनुशंसित कीटनाशक थायोमिथाक्सम 30 एफ.एस. (10 मि.ली./कि.ग्रा. बीज) या इमिडाक्लोप्रिड 48 एफ.एस. (1.2 मि.ली./कि.ग्रा. बीज) से अवश्य उपचारित करें। इसके बाद जैव उर्वरक (राइजोबियम एवं पीएसबी कल्चर (5 से 10 ग्राम/कि.ग्रा. बीज के मान से) का अनिवार्य रुप से उपयोग करें।

बीज दर
अनुशंसित बीज 75-80 कि.ग्रा./हे. की दर से उन्न्त प्रजातियों की बुआई करें। (एक हेक्टर क्षेत्र में लगभग 4.50 लाख पौध संख्या होनी चाहिए) कतार से कतार की दूरी कम से कम 14-18 इन्च के आस पास रखें। साथ ही संभव हो तो रेज्ड बैड विधि से फसल की बुआई करें इस विधि से फसल बुआई करने से कम वर्षा एवं अधिक वर्षा दोनो स्थिति में फसल को नुकसान नहीं होता है।

खाद/उर्वरक
नाईट्रोजन, फास्फोरस, पोटास एवं सल्फर की मात्रा क्रमश: 20:60:30:20 कि.ग्रा./हे. के मान से उपयोग करें। इस हेतु निम्नानुसार उर्वरक  मिश्रण मे से किसी एक का उपयोग कर सकतें हैं-
1. एन.पी.के. (12:32:16) 200 किग्रा.+25 किग्रा. जिंक सल्फेट प्रति हेक्टर।
2. डी.ए.पी. 111 किग्रा. एवं म्यूरेट ऑफ पोटाश 50 किग्रा.+25 किग्रा. जिंक सल्फेट प्रति हेक्टर

वर्षा के आगमन पश्चात्, सोयाबीन की बोवनी हेतु मध्य जून से जुलाई के प्रथम सप्ताह का उपयुक्त समय है। नियमित मानसून के पश्चात् लगभग 3 से 4 इंच वर्षा होने के बाद ही बुवाई करना उचित होता है। मानसून पूर्व वर्षा के आधार पर बोवनी करने से सूखे का लम्बा अंतराल रहने पर फसल को नुकसान हो सकता है। किसान भाई अपनी कुल खेती योग्य रकबे मे से 25 से 30 प्रतिशत रकबे मे अन्य फसले जैसे  मक्का उडद धान मूंगफली आदि जरूर लगावे।

फसल बुआई यदि (डबल पेटी) सीड कम फर्टिलाईजर सीड ड्रिल से करते है तो बहुत अच्छा है जिससे उर्वरक एवं बीज अलग अलग रहता है और उर्वरक बीज के नीचे गिरता है तो लगभग 80 प्रतिशत् उपयोग हो जाता है डबल पेटी बाली मशीन न हो तो अन्तिम जुताई के समय पर अनुशंसित उर्वरक का उपयोग करें। अधिक जानकारी के लिए आपके क्षेत्र के नजदीकी वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी कार्यालय या संबंधित क्षैत्रिय ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी से संपर्क करें।