कृषि के विकास और किसानों के कल्याण के लिये प्रदेश सरकार की उदार कृषि नीतियों के परिणाम स्वरूप रायसेन जिले में धान की खेती की ओर किसानों का रूझान तेजी से बढ़ा है। सरकार द्वारा शून्य प्रतिशत ब्याज पर किसानों को ऋण मुहैया कराने के साथ ही उन्नत बीज और खाद की नियंत्रित मूल्य पर उपलब्धता को सुलभ बनाया गया। इसके अलावा बाद के वर्षों में प्रदेश सरकार द्वारा किसानों को खाद-बीज पर सब्सिडी दी गई जिससे खेती की लागत में कमी आई और मुनाफा बढ़ा। कृषि लागत को कम करने में प्रदेश सरकार द्वारा सिंचाई के लिये बिजली की मांग के अनुरूप आपूर्ति और प्रति हार्सपावर के मान से बिजली बिल फिक्स करना भी महत्वपूर्ण कारण है। रायसेन जिले के किसानों द्वारा पैदा की जाने वाले सुगंधित धान (पूसा बासमती) ने जिले को एक अलग पहचान दी है। रायसेन से वर्ष 2013-14 में पूसा बासमती सउदी अरब को निर्यात की जाने लगी। इससे किसानों को अच्छा मुनाफा हुआ और किसानों के लिये धान की खेती लाभ का धन्धा बनी।
बरेली तहसील के पारतलाई निवासी किसान देवी सिंह ने बताया कि वह पिछले चार साल से धान की खेती कर रहे हैं। धान लगाने से उन्हें खेती में पहले से अधिक मुनाफा हो रहा है तथा इससे उनकी आर्थिक स्थिति भी सुदृढ़ हुई है। रायसेन जिले में धान की खेती की शुरूआत बरेली तहसील के किसानों ने वर्ष 1997 में शुरू की और साल 2007-08 तक परंपरागत ढंग से की जाती रही। इस अवधि में धान की क्रांति, आईआर-36 और आईआर-64 धान लगाया जाता था जिसका उत्पादन औसत 668 किग्रा. प्रति हेक्टेयर था। वर्ष 2008 से किसानों द्वारा धान की सुगंधित धान की उन्नत किस्म पूसा बासमती-1460, पूसा बासमती-1121, पूसा बासमती-1637, पूसा बासमती-1509 का उपयोग और कृषि वैज्ञानिकों द्वारा समय-समय पर दी जाने वाली सलाह के परिणाम स्वरूप साल दर साल धान का रकबा और प्रति हेक्टेयर उत्पादन बढऩे लगा।
वर्ष 2009 में उत्पादन 1111 प्रति किग्रा. प्रति हेक्टेयर से ब?ता हुआ आज 3358 प्रति हेक्टेयर हो गया। वर्ष 2009 से 2020 तक धान का औसत उत्पादन 2634 किग्रा, प्र्र्र्रति हेक्टेयर हुआ। वर्ष 2018 में जिले में एक लाख 74 हजार हेक्टेयर खेती की गयी। इस साल धान के लिये लगभग दो लाख हेक्टेयर का लक्ष्य निर्धारित किया गया। सउदी अरब और अमेरिका को चावल निर्यात करने के लिए निर्धारित मानकों के अनुरूप रायसेन की एक निजी कम्पनी द्वारा किसानों से अनुबंध कर धान का उत्पादन किया जा रहा है। जिले में वर्ष 1997 में धान का रकबा 3.8 हजार हेक्टेयर तथा उत्पादन 939 किग्रा. प्रति हेक्टेयर था। वर्ष 2019 में व धान का रकबा बढ़कर 198 हजार हेक्टेयर हो गया एवं उत्पादन 3358 किग्रा. प्रति हेक्टेयर था।