शहद की खूबियां जगजाहिर है। शुद्ध शहद के स्वास्थ्य से जुड़े फायदों के लोग हमेशा से मुरीद रहे हैं। ग्रामीण अंचल में मिलने वाले शुद्ध शहद की मांग भी तेजी से बढ़ी है। इसको देखते हुए उद्यानिकी विभाग व ग्रामीण आजीविका मिशन ने महिला समूहों को मधुमक्खी पालन का प्रशिक्षण दे रहा है। महिलाएं अब उन्नत तरीकों से मधुमक्खी का पालन कर स्वालंबन की राह पर चल पड़ी हैं।

परंपरागत रूप से गांव के पेड़ों में मधुमक्खियां द्वारा बनाये गए छत्तों से शहद निकालकर गांव वाले बेचा करते थे। शुद्ध शहद की बढ़ती डिमांड और अच्छा मार्किट रिस्पांस का लाभ लेने के लिए उद्यानिकी विभाग ने महिला स्व-सहायता समूहों को प्रशिक्षित कर इस कार्य मे दक्ष बना रहा है। महिला स्व सहायता समूहों को नवंबर माह में प्रशिक्षण दिया गया था। प्रशिक्षण के 1 माह पश्चात स्व-सहायता समूह के द्वारा शहद उत्पादन प्रारंभ किया गया है। जिनमें से धरमजयगढ़ विकासखंड के ग्राम चाल्हा के राम महिला स्व-सहायता समूह द्वारा 16 किलो शहद का उत्पादन लिया गया है जिसे राशि रुपए 300 प्रति किलोग्राम की दर से विक्रय करते हुए समूह को 4800 रुपये की आमदनी प्राप्त हुई है। जिससे महिलाओं में उत्साह है और वे काम को आगे बढ़ा रही हैं। समूह की सचिव श्रीमति संसो ने बताया कि मधुमक्खी पालन से उन्हें स्वालंबन की नयी राह मिली है। घर के कामकाज के साथ इस कार्य में समय देकर अपने लिए आय अर्जित कर पा रहे हैं। वह कहती हैं कि अभी शुरुआत है धीरे-धीरे काम आगे बढ़ेगा तो शहद उत्पादन और मुनाफा भी बढ़ेगा। इसी प्रकार प्रशिक्षित अन्य स्व-सहायता समूह ने भी शहद उत्पादन का कार्य शुरू कर दिया है।

मालूम हो कि शासकीय उद्यान रोपणी, धरमजयगढ़ में उद्यान विभाग द्वारा माह नवंबर 2020 में जनपद पंचायत एवं राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के अधिकारियों के सहयोग से विकास खंड धरमजयगढ़ एवं घरघोड़ा के 9 महिला स्व-सहायता समूह के 18 सदस्यों को मधुमक्खी पालन का प्रशिक्षण देते हुए राष्ट्रीय बागवानी मिशन योजना अंतर्गत हनी बी कॉलोनी, हनी बी हाइव एवं 2 नग शहद निकालने का यंत्र  के साथ-साथ अन्य सुरक्षा उपकरण जैसे मास्क, दस्ताने, स्मोकर, टॉप कवर दिए गए थे। जिसके पश्चात महिला समूहों ने शहद उत्पादन प्रारंभ कर कमाई भी शुरू कर दिया है।