मखाना, नाम सुनते ही मुंह में पानी आ जाता है। इसके खीर और नमकीन बड़े लाजवाब होते हैं। मखाने स्वादिष्ट होने के साथ-साथ सेहतमंद भी होते हैं। क्योंकि मखाना में प्रोटीन, एंटीऑक्सीडेंट, आयरन, फाइबर, फोलिक एसिड, जिंक और कैल्शियम बहुत मात्रा में पाए जाते हैं। इसमें सोडियम, कैलोरी और फैट बहुत कम होती है। इसके सेवन से पेट की बीमारी, दिल की बीमारी, मधुमेह, जोड़ों के दर्द, किडनी, अनिद्रा और तनाव की समस्या में कमी देखी गई है। तो आइए आज जानते हैं मखाने की खेती के बारे में…
1. पानी की फसल है मखाना
मखाना पानी की फसल है। इसलिए इसकी खेती पानी वाले स्थानों में की जाती है। जैसे- तालाब, कीचड़, झील, गड्ढे और जलाशय। आप खेत में भी पानी जमा कर के मखाने की खेती कर सकते हैं।
2. बिहार में सबसे ज्यादा होता है मखाना
भारत में मखाना की खेती सबसे ज्यादा बिहार में होती है। कहा जाता है कि मखाना की 90 प्रतिशत तक फसल अकेले सिर्फ बिहार में होती है। इसके साथ ही मणिपुर, पश्चिम बंगाल, ओडि़शा, असम में भी इसकी खेती की जाती है।
3. खेत की तैयारी
अगर आपके पास तालाब, गड्ढे या जलाशय हैं तो उसमें आप बड़ी आसानी से इसकी खेती कर सकते हैं। लेकिन यदि ये उपलब्ध ना हों तो आप अपने खेत में 5-9 इंच पानी जमा कर के उसे तालाब का रूप दे सकते हैं। फिर इसमें मखाने का बीज रोप सकते हैं।
4. विधि
खेत विधि: खेत में मखाना की खेती का तरीका नया है। खेत में आप 5-9 इंच पानी भर कर इसकी खेती कर सकते हैं। साथ में अन्य फसल की भी खेती की जाती है।
तालाब विधि: मखाना की खेती तालाब में की जा सकती है। इसमें आप बीज डालकर इसकी खेती आसानी से कर सकते हैं।
5. बोआई का तरीका
मखाने की बीजों की सीधी बोआई दिसंबर के महीने में की जा सकती है। मखाने के बीजों को सीधे तालाब में छिंटना है। फिर ये बीज 30 से 40 दिनों में उगना शुरू हो जाते हैं। मार्च के महीने में ये पानी के ऊपर आ जाते हैं।
6. खेत की तैयारी
मखाना की खेती यदि आप खेत में करना चाहते हैं पहले खेत की अच्छी तरह से 2 से 3 जुताई कर लें। फिर मिट्टी को उपचारित कर इसके बीजों को सीधे या पंक्ति में बो सकते हैं। रासायनिक खाद में नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटैशियम को हिसाब से दें। इसके बाद खेत के चारो तरफ बाँध बना दे।
7. उर्वरक
तालाब में खेती करने के लिए मखाना में उर्वरक की आवश्यकता नहीं पड़ती है। लेकिन यदि आप खेत में इसकी फसल ले रहे हैं तो खाद और उर्वरक का खास ध्यान रखें। खेत में नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटैशियम को 100:60:40 किलो प्रति हेक्टर और 15 टन कार्बनिक प्रति हेक्टर के हिसाब से और अकार्बनिक उर्वरक दे देना चाहिए।
8. खरपतवार से सुरक्षा
चूंकि मखाना जल की फसल है, इसलिए इसमें खरपतवार की संभावना भी काफी बढ़ जाती है। इसलिए इसकी खेती के लिए समय-समय पर खरपतवार की निंदाई-गुड़ाई करते रहें।
9. सिंचाई
मखाना जलीय पौधा है। इसलिए खेत या तालाब में इसके जलस्तर की बराबर जांच करते रहें, ताकि फसल अच्छा हो। वैसे तो मानसून की वर्षा का पानी खेती के लिए काफी है लेकिन असामान्य वर्षा में खेत में 4-5 बार सिंचाई कर देनी चाहिए।
10. फूल और फल आना
मखाने के पौधे में फल और फूल आना मई महीने से शुरू हो जाते हैं, जो नवंबर-दिसंबर तक चलते हैं। पौधा रोपने के 2 महीने बाद उस पर बैंगनी रंग के फूल आने लगते है और फूल आने के 35-45 दिन बाद उस पर विकसित फल आने लगते है, मखाना के सभी भाग कांटो से भरे होते है।
11. कटाई
मखाना की फसल सितंबर तक पक जाते हैं। उसके बाद इसमें फल आने लगते हैं। शुरूआत में फल पानी में तैरते दिखाई देते हैं। लेकिन 4-5 दिनों में यह सतह पर चले जाते हैं। तब 5-30 सेंटीमीटर की गहराई में जमी हुयी फलो को बाहर निकाल के जमा करते हैं।
12. व्यापारिक लाभ
मखाना काफी ऊंचे दामों में बाजार में बिकता है। इसलिए इसकी खेती किसानों के लिए काफी फायदेमंद है।