बादाम की खेती
बादाम की खेती

बादाम पोषक तत्वों से भरपूर होता है। इसमें प्रोटीन, विटामिन ई, कैल्शियम, फास्फोरस, फाइबर, एंटी ऑक्सीडेंट्स, हेल्दी फैट, विटामिन डी आदि पर्याप्त मात्रा में पाए जाते हैं, जो हमारी सेहत के लिए अच्छे होते है। कहा जाता है कि बादाम हड्डियों और मसल्स को मजबूत करने में, कैंसर रोकने में, दिल की बीमारियों का खतरा कम करने में मदद करता है। टेस्ट के साथ हेल्दी गुणों से भरपूर बहुत लोगों का पसंदीदा ड्राइफ्रूट है। तो चलिए आज हम बात करते हैं बादाम की खेती के बारे में

पर्वतीय क्षेत्रों की फसल
वैसे तो बादाम मुख्यत: पर्वतीय क्षेत्रों की फसल है। लेकिन अब आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल कर मैदानी क्षेत्रों में भी इसकी खेती की जाने लगी है। बादाम हिमाचल प्रदेश, जम्मू कश्मीर आदि में भरपूर मात्रा में मिलता है।

बादाम की किस्में
बादाम की किस्में स्थान विशेष के अनुसार तय की जाती है। जैसे शुष्क शीतोष्ण वाले स्थानों में नी-प्लस-अल्ट्रा, थिनशैल्ड एवं टैक्सास, ऊँचे पर्वतीय और मध्य पर्वतीय क्षेत्रों में निकितस्काई, मर्सिड, आई एक्स एल, व्हाईट ब्रान्डिस, नॉन पेरिल और  निचले पर्वतीय और घाटी क्षेत्रों में काठा, ड्रेक, पीयरलैस आदि की फसल ली जाती है।

बादाम की खेती जलवायु
बादाम की खेती प्रमुख रूप से सूखे गर्म उष्णदेशीय जलवायु में की जाती है। लेकिन फल को पकने के लिए गर्म शुष्क मौसम अच्छा होता है। बादाम की खेती के लिए 7-24 डिग्री सेल्सियस तापमान सबसे अच्छा है। इसकी खेती के लिए साल में 0.75-1.1 मीटर्स वर्षा अच्छा होता है।

भूमि
इसकी खेती समतल, बलुई दोमट वाली चिकनी गहरी उपजाऊ मिट्टी में की जाती है। लेकिन याद रखें कि मिट्टी में जल निकासी का उचित प्रबंधन होना चाहिए।

खेत की तैयारी
बादाम के पौधे लगाने से पहले सबसे पहले गड्ढे तैयार कर इसमें गोबर खाद डालें। दो पौधों के मध्य और दो पंक्तियों के मध्य बराबर दूरी रखकर इसके पौधों का रोपण करें। लेकिन याद रखें पौध रोपण से पहले बादाम के बीज स्वस्थ होना चाहिए।

बादाम की खेती सिंचाई
बादाम के खेतों में सिंचाई निश्चित अंतराल में करते रहना चाहिए। गर्मियों में 10 से 12 दिन तो शीत ऋतु में 20-25 दिनों के अंतराल में सिंचाई करते रहना चाहिए।

निंदाई
बादाम के पौधों की निंदाई गुड़ाई समय अनुसार करते रहना चाहिए। अन्यथा खरपतवार मिट्टी से पोषक तत्वों का अवशोषण कर लेंगे और पौधे कमजोर हो जाएंगे। इसलिए निंदाई करते रहें।
निराई गुड़ाई:- पहली निराई 10-15 दिन बाद, दूसरी निराई 25-35 दिन बाद, तीसरी निराई 45 दिन बाद, खरपतवार सघनता के अनुसार, 2-3 बार हाथ से निराई कर देना अच्छा रहेगा।

कीटों से रोकथाम
बादाम में चेपा, छेदक कीट, काला चेपा, छोटे धब्बे बैक्टीरियल और गोंदिया, जड़ सडऩ, गमोसिस जैसे कीटों का प्रकोप हो सकता है। इसलिए कृषि विशेषज्ञों की मदद से इसके रोकथाम के उपाय करते रहना चाहिए।

उपज
बादाम का पेड़ तीन साल में ही फल देना शुरू कर देता है। बादाम तुड़ाई के लिए पतझड़ में तैयार हो जाता है। फल तोडऩे के बाद उससे छाव में सुखाना चाहिए फिर गिरी को फली से अलग कर दें।