छत्तीसगढ़ शासन की बाड़ी विकास योजना के तहत महिलाओं में सामूहिक रूप से सब्जी की खेती को अपने जीवन यापन का जरिया बनाया है। महिलाओं को बाड़ी से पर्री में कभी भिण्डी, लौकी, कद्दू, बरबटी, टमाटर एवं अन्य सब्जियां को तोड़ते देख एक सुखद एहसास होता है। सब्जी उत्पादन को अपनाकर जय माँ सरस्वती एवं माँ शीतला समूह की महिलाओं ने अपनी मेहनत से तकदीर को बदलने का काम किया है। इन महिलाओं के हाथ में है हसियां, फावड़ा और कुदाली, वहीं इनके मुठियों में है उन्नति की तकदीर। यह कहानी है राजनांदगांव जिले के अम्बागढ़ चौकी विकासखंड के ग्राम पीपलखार की। यहां कि महिलाओं ने सब्जी की खेती कर न सिर्फ आर्थिक रूप से आत्मनिर्भरता हासिल की है बल्कि अन्य ग्रामीण अंचल की महिलाओं के लिए भी मिसाल बनी है।
समूह की बुजुर्ग श्रीमती कैलाशवती का कहना है कि घर के कार्योंं को पूरा करने के बाद हम सभी महिलाएं मिलकर बाड़ी की निदाई, गुड़ाई और सब्जियों खेती का कार्य करती है। पौधों को समय पर वर्मी कम्पोस्ट देने के साथ बंदरों से भी देखरेख करनी पड़ती है। गौठान से ही सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध हो जाता है। हरी-भरी लहलहाती इस बाड़ी में समूह की महिलाओं ने कई प्रकार की सब्जियों को उगाने के साथ ही खट्टाभाजी एवं करमता भाजी भी लगा रखा है।
उमादेवी सहारे ने कहा कि मुख्यमंत्री के नरवा, गरवा, घुरवा और बाड़ी योजना से गांव और ग्रामीणों की तरक्की की राह आसान हुई है, जीवन स्तर में सुधार आया है। श्रीमती जानकी देवी मण्डावी का कहना है कि बाड़ी योजना से हम सभी को बहुत फायदा हो रहा है। अपने घर के लिए तो सब्जी की आपूर्ति होने के बाद गांव में भी सब्जी विक्रय कर रहे हैं, जिससे महिलाओं को अतिरिक्त आमदनी हो रही है।