सब्जियों में बरबट्टी का खास स्थान है। यहां बाजार में आसानी से मिल जाते हैं और कीमत भी उचित होती है। इसका उपयोग सब्जी के लिए विशेष तौर पर किया जाता है। इसकी खासियत यह है कि यह आजकल हर मौसम में उपलब्ध होती है। यह प्रोटीन का अच्छा स्रोत माना जाता है। इसके अलावा इसकी खेती से भूमि का उपजाऊपन भी बढ़ता है। तो चलिए आज बात करते हैं बरबट्टी की खेती के बारे में…

1. मिट्टी

बरबट्टी की खेती वैसे तो किसी भी प्रकार की मिट्टी में आसानी से की जा सकती है। लेकिन यदि आप ज्यादा से ज्यादा उत्पादन और गुणवत्ता चाहते हैं तो इसकी खेती दोमट मिट्टी में करें।

2. किस्में

बाजार में आजकल बरबट्टी की कई किस्में उपलब्ध है। लेकिन अच्छे उत्पादन और क्वालिटी के लिए आप पूसा फालगुनी, पूसा बरसाती, पूसा दो फसली, पूसा ऋतुराज, पूसा कोमल, काशी श्यामल आदि किस्मों का चयन कर सकते हैं।

3. बीज की मात्रा

बरबट्टी की खेती के लिए खेत में आप मौसम के अनुसार बीजों की मात्रा का चयन करें। जैसे यदि आप बरसात के मौसम में इसकी फसल ले रहें हैं तो एक हेक्टेयर में 12 से 16 किलोग्राम तक बीजों का उपयोग कर सकते हैं। वहीं यदि आप गर्मी के मौसम में इसकी फसल लेना चाहते हैं तो प्रति हेक्टेयर 20 किलोग्राम के आसपास बीज लेने पड़ेंगे।

4. बीजोपचार

बरबट्टी के बीजों को खेत में लगाने से पहले बीजों का उपचार अवश्य कर लें। इससे उत्पादन में वृद्धि होगी। बीज को 3.5 से 4.0 ग्राम थाइरम नामक दवा से प्रति किलो बीज की दर से बीजोपचार करें।

5. बोआई का समय

बरबट्टी की बोआई वैसे तो गर्मी और बरसात दोनों ही मौसम में की जा सकती है। लेकिन इसकी बोआई के समय का ध्यान रखना आवश्यक है। यदि आप गर्मी में इसकी फसल लेना चाहते हैं तो फरवरी से अप्रैल तक और बरसात में फसल के लिए जून से जुलाई तक बोआई अवश्य कर लें।

6. उर्वरक

बरबट्टी में अच्छी सड़ी गोबर की खाद अन्तिम बखरनी के समय खेत में मिला दें। साथ ही नत्रजन बहुत कम 10-20 किलो प्रति हेक्टेयर की दर से बुआई के पूर्व देना चाहिये।  बरबटी की फसल जिंक की कमी के प्रति बहुत संवेदनशील हैं। अत: जिंक की कमी होने पर 10 से 15 किलो जिंक सल्फेट प्रति हेक्टेयर देना चाहिये।

7. सिंचाई

बरबट्टी की हल्की सिंचाई करनी चाहिए। बरसात में सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती है। फिर भी बारिश ना हो तो जरूरत के अनुसार सिंचाई कर सकते हैं। वहीं गर्मी के मौसम में सप्ताह में एक से दो बार सिंचाई अवश्य करते रहें।

8. खरपतवार से नियंत्रण

बरबट्टी की फसल को खरपतवार से बचाने के लिए समय-समय निंदाई गुड़ाई करते रहें।

9. कीटों से सुरक्षा

बरबट्टी की फसल में माहू का प्रकोप दिखे तो एमिडियाक्लोपिरिड 17.8 प्रतिशत का 1 मि.ली. दवा प्रति 3 लीटर पानी में घोलकर 10-15 दिन के अंतराल पर छिड़काव करें। वहीं फलछेदक से रोकथाम के लिए फोसेलान 2 मि.ली. प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें।

10. रोग

बरबट्टी की फसल में मुख्यत: चूर्णी फफूंद और मोजेक रोग का संक्रमण देखा जाता है। इसलिए यदि चूर्णी फफूंद का संक्रमण दिखें तो इसकी रोकथाम के लिये 0.5 प्रतिशल केराथियान या 0.5 प्रतिशत घुलनशील सल्फर का 15 दिन के अंतर से छिड़काव करना चाहिये। मोजेक से बचाव के लिए रोग निरोधक किस्मों की बोआई करें तो बेहतर होगा।

11. तोड़ाई

बरबट्टी की सही उपज के लिए इसकी सही समय पर तोड़ाई करना जरूरी है। अन्यथा देर से तोड़ाई करने पर फल्लियां कड़ी हो जाती हैं।

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