बटरनट फाइबर, विटामिन सी, मैग्नीशियम और पोटेशियम का अच्छा स्रोत है। बटरनट स्क्वैश में मौजूद उच्च मात्रा में एंटीऑक्सिडेंट हृदय रोग, फेफड़ों के कैंसर और मानसिक गिरावट सहित कुछ बीमारियों को कम कर सकती है।
बटरनट की अच्छी पैदावार के लिए गर्म जलवायु की आवश्यकता होती है। इसलिए खेत में लगाने के लिए सबसे उपयुक्त समय मई का होता है। बटरनट की खेती के लिए एक चीज ध्यान देने योग्य है कि जब बीज के अंकुरण का समय हो तो तापमान 12 सेल्सियस से कम ना हो, नहीं तो फसल प्रभावित हो सकती है।
वैसे तो इसकी खेती के लिए किसी खास प्रकार की मिट्टी की आवश्यकता नहीं होती है। लेकिन ध्यान रखें मिट्टी में जल निकासी का अच्छा प्रबंध होने के साथ-साथ मिट्टी में पोषक तत्वों की प्रचुरता हो।
बटरनट की खेती के लिए खेत को सबसे पहले अच्छे से जुताई कर लेनी चाहिए। इससे खरपतवार नष्ट हो जाएंगे और मिट्टी भुरभुरी हो जाएगी। इसके बाद नाइट्रोजन, पोटेशियम और फॉस्फेट के मिश्रण को समान मात्रा में दे। आप जैविक खाद का भी इस्तेमाल कर सकते है।
बटरनट की सीधे खेत में बोने से पहले आप इसे गमले में लगा लें। इसके लिए आप एक गमले में दो से तीन बीज लगा सकते हैं। फिर जब इसमें अंकुरण आ जाए तो आप इसे सीधे खेत में लगा सकते हैं। इसके अलावा अगर आप चाहे तो बीज को सीधे खेत में ही रोप के खेती कर सकते हैं।
बटरनट के विकास के लिए पानी की अच्छी जरूरत होती है। मौसम यदि गर्मी का हो तो पानी भरपूर दें। पहली सिंचाई बीज या पौध रोपण के समय करें, उसके बाद जरूरत के अनुसार पानी देते रहें।
बटरनट में यदि कीट प्रकोप दिखाई दे तो आप विशेषज्ञों से सलाह लेकर इसका उचित प्रबंधन अवश्य करें, ताकि उपज अच्छी हो।
बटरनट की फसल तोडऩे का समय सितम्बर से दिसम्बर होता है। जब तना सूख जाये और पर्ण पीला हो जाये, तो यह कटाई शुरू करने का संकेत होता है। कटाई के बाद, इसे कई महीनों तक शुष्क कमरे में रख सकते हैं।