सब्जियों का जिक्र हो और गोभी का नाम ना आए, भला ऐसे कैसे हो सकता है। गोभी की तो सब्जियों में खास स्थान रखता है। इसकी कई प्रकार की सब्जियां बनाई जाती है और खासकर ठंड के मौसम तो गोभी की डिमांड काफी होती है। तो चलिए आज हम आपको बता रहे हैं, गोभी की खेती के बारे में, जिसकी खेती मुनाफा का सौदा ही साबित होगी। वैसे कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि गोभी की खेती आजकल पूरे वर्ष भर ली जा सकती है, लेकिन बस जलवायु इसके अनुकूल होनी चाहिए। नहीं तो फसल में कीड़े लगने का खतरा बना रहता है।
मिट्टी
गोभी की खेती यदि किसान वैज्ञानिक तरीके से करे तो लाभ ही लाभ मिलता है। कम समय में ज्यादा मुनाफा भी लिया जा सकता है। इसके लिए सबसे जरूरी चीज है मिट्टी। गोभी की रेतली दोमट, चिकनी या किसी भी तरह की मिट्टी में उगाई जा सकती है। लेकिन गोभी की ऐसे किस्में जो देर पकती है, उसके लिए दोमट मिट्टी को प्राथमिकता दी जाती है। इसमें उत्पादन भी अच्छा होता है और गोभी भी तरोताजा मिलता है। फूलगोभी की खेती विभिन्न प्रकार की भूमियों में की जा सकती है,जिसमे पर्याप्त मात्रा में जैविक खाद उपलब्ध हो। वहीं अगेती किस्मों की खेती के लिए जून और जुलाई के महीने को सबसे अच्छा माना जाता है। बिजाई के लिए डिबलिंग विधि और रोपण विधि का प्रयोग किया जाता है। इसके साथ ही नर्सरी में बीजों को बोएं और आवश्यकतानुसार खाद और सिंचाई दें। बिजाई के 25-30 दिन बाद पौधे रोपाई के लिए तैयार हो जाते हैं। इनकी रोपाई कर दें। इन सबके बीच ध्यान देने योग्य बात यह भी है कि रबी के मौसम में काली फंगस का हमला ज्यादा होता है। इसलिए इसकी रोकथाम के लिए किसानों को खास प्रयास करने की जरूरत होती है। वहीं गोभी के फूल विकसित होने पर सुबह के समय कटाई की जा सकती है।
वैसे, गोभी की फसल किसानों के लिए काफी लाभदायक होती है। लेकिन कभी-कभी इसमें कीड़े या दूसरी बीमारियों के चलते मुनाफा नहीं मिल पाता और फसल खराब हो जाती है। इसलिए पत्ते में फूल आने तक इसकी बराबर निगरानी की आवश्यकता होती है। वहीं कृषि वैज्ञानिकों से सलाह लेकर इसमें पर्याप्त खाद और रसायन का उपयोग कर इसकी फसल को उन्नत बनाया जा सकता है।
जलवायु
फूलगोभी की खेती के लिए ठंडी जलवायु की आवश्यकता होती है। लेकिन अगेती जातियों के लिए तापमान थोड़ा ज्यादा होना चाहिए। इसकी खेती जुलाई से अप्रैल तक की जा सकती है।
खेत की तैयारी
किसी भी फसल की बुआई से पहले खेत की तैयारी काफी महत्वपूर्ण है। इसलिए फूलगोभी की खेती करने के पहले खेत में अच्छी तरह जुताई कर लें। यदि दो बार जुताई करें तो ज्यादा अच्छा होगा। साथ पौधे तैयार करने के लिए ुउचित साइज की क्यारियां बना लेनी चाहिए। साथ ही ध्यान रखें कि दो क्यारियों के बीच में पानी देने के लिए नाली बना लें, तो ज्यादा अच्छा होगा। साथ ही 5 किलो ग्राम गोबर की खाद , 10 ग्राम म्यूरेट ऑफ़ पोटाश , 5 किलो यूरिया प्रति वर्ग मीटर के हिसाब से क्यारियों में मिला दे। बीजों को कम से कम 3 सेंटीमीटर और ज्यादा से ज्यादा 5 सेंटीमीटर की दूरी की पंक्तियों में लगाएं। एक हेक्टेयर खेत में 450 ग्राम से 500 ग्राम बीज की बुआई करें।
खाद एवं सिंचाई
फूलगोभी के ज्यादा उत्पादन के लिए खाद की मात्रा पर्याप्त होनी चाहिए। वहीं पहली सिंचाई रोपाई के तुरंत बाद करें। बाद में मध्यम फसल में 10-12 दिन के अंतर से सिंचाई करते रहें।
कीट नियंत्रण
फूलगोभी के पौधों में कीड़े बहुत जल्दी लगते हैं। इसलिए कीट नियंत्रण के लिए खास उपाय करने चाहिए। इसमें मुख्यत: कैबेज मैगेट, चैंपा, ग्रीन कैबेज वर्म, डाईमंड बैकमोथ जैसे कीट लगते हैं। जो जड़ों से लेकर फूलों तक को नुकसान पहुंचाते हैं। इसलिए समय-समय पर इसका नियंत्रण आवश्यक है।