सब्जियों का टेस्ट बिना टमाटर के अधूरा माना जाता है। और हो भी क्यों ना…क्योंकि टमाटर पौष्टिक तत्वों से भरा होता है। इसमें कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, वसा, खनिज पदार्थ, कैल्शियम, फास्फोरस, विटामिन, नकोटेनिक अम्ल आदि प्रचूर मात्रा में पाए जाते हैं।
सब्जियों के अलावा टमाटर का सूप, सलाद, चटनी, सॉस भी बनता है, जिसकी वजह से किसानों के लिए टमाटर काफी मुनाफे वाली फसल साबित होती है। साथ ही ये काफी लोकप्रिय सब्जी होने के कारण पूरे देश में इसका उत्पादन हर क्षेत्र में किया जाता है। तो चलिए आज बात करें टमाटर की खेती की व्यापारिक दृष्टिकोण के बारे में…
जलवायु
टमाटर की फसल वैसे तो सालभर ली जा सकती है। लेकिन इसके लिए जलवायु का खास ध्यान रखना पड़ता है। क्योंकि ज्यादा सर्दी और पाला टमाटर की वृद्धि में बाधा पहुंचा सकती है। टमाटर की गुणवत्ता उसके रंग पर ही निर्भर होती है। इसलिए टमाटर के फलों के लिए औसत तापमान 18 से 27 डिग्री सेल्सियस होना चाहिए। विशेषज्ञों का मानना है कि 10 डिग्री सेल्सियस से नीचे टमाटर में लाल और पीला रंग बनना बंद हो जाता है, और 30 डिग्री सेल्सियस से ऊपर भी लाल रंग बनना कम हो जाता है। इसलिए टमाटर के लिए उपयुक्त जलवायु का खास ध्यान रखना चाहिए।
मिट्टी
वैसे टमाटर की फसल सालभर और देश के सभी क्षेत्रों में ली जाती है, तो इसके लिए मिट्टी का विशेष प्रकार का होना मायने नहीं रखता है। लेकिन इसके लिए दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त है। लेकिन इसमें जैविक पदार्थ की अधिक मात्रा एवं पानी के निकास का उचित प्रबंध इसके लिए जरूरी है।
खेत की तैयारी
टमाटर की खेती के लिए खेत को कम से कम 3 से 4 बार अच्छी तरह जुताई कर लेनी चाहिए। जुलाई माह में मिट्टी पलटने वाले हल अथवा देशी हल से जुताई करें। इसके बाद गोबर की खाद को समान रूप से खेत में बिखेरकर पुन: अच्छी जुताई कर लें। इसके बाद इसमें बीजों का छिड़काव करें।
उर्वरकों का प्रयोग
टमाटर की खेती के लिए उर्वरकों का प्रयोग मिट्टी के आधार पर किया जाना चाहिए। अन्यथा टमाटर की गुणवत्ता प्रभावित हो सकती है। अगर मिट्टी का जांच संभव न हो तो उस स्थिति में प्रति हेक्टेयर नेत्रजन-100 किलोग्राम, स्फूर-80 किलोग्राम तथा पोटाश-60 किलोग्राम की दर से डालना चाहिए। जब फूल और फल आने शुरू हो जाए, उस स्थिति में 0.4-0.5 प्रतिशत यूरिया के घोल का छिड़काव करना चाहिए। लेकीन सांद्रता पर जरूरी ध्यान दें।
पौधों की दूरी
वैसे तो टमाटर के पौधों का खेत के आधार पर दूरी निर्धारित कर बोया जा सकता है। जैसे कमजोर खेत में दूरी कम रखना चाहिए। यहां औसत दूरी 60 से 70 सेमी दोनों ओर से रखें। लेकिन यदि खेत में उपजाऊपन ज्यादा हो तो एक साथ दो पौधे भी लगा सकते हैं।
सिंचाई
टमाटर के खेतों की पहली सिंचाई प्रतिरोपण के तुरंत बाद कर लेनी चाहिए। उसके बाद 15-20 दिनों के बाद सिंचाई कर सकते हैं। लेकिन जाड़े और गर्मी के मौसम में तापमान के अनुसार सिंचाई करें।
खरपतवार नियंत्रण
टमाटर की खेती के लिए खरपतवार नियंत्रण आवश्यक है। यदि इस पर नियंत्रण नहीं किया गया तो पौधों की बढ़वार और विकास दोनों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
कीटों पर नियंत्रण
टमाटर की फसलों में कीट नियंत्रण बहुत ही आवश्यक है। क्योंकि फसलों को नष्ट कर देता है। इसमें फलछेदक टमाटर का सबसे बड़ा शत्रु है। इसलिए इस नियंत्रण आवश्यक है। इसके अलावा इसमें हरे रंग के छोटे-छोटे कीट भी होते हैं, जो पौधों के रस चूस लेते हैं। इसलिए इस पर नियंत्रण आवश्यक है। इसके अलावा सफेद मक्खियों से टमाटर की फसलों की रक्षा जरूरी है।